निंदक नियेरे राखिये आँगन कुटी छवाय हिंदी मीनिंग Nindak Niyare Rakhiye Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit
निंदक नियरे राखिये, आँगन कुटी छवाय।बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुहाए।
Nindak Niyare Rakhiye, Aangan Kuti Chavay,
Bin Pani Sabun Bin, Nirmal Kare Suhay.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
मानव का स्वभाव है की वह दूसरों की कमियों पर ध्यान देता है, स्वंय का विश्लेषण नहीं करता है। व्यक्ति को निंदक को समीप रखना चाहिए जो उसकी कमिओं को बताएं। निंदक व्यक्ति बिना साबुन और पानी के व्यक्ति की कमियों को दूर दूर करता है। जैसे आंगन पर एक वृक्ष की छाया होनी चाहिए वैसे ही निंदक को सदा ही अपने पास रखना चाहिए। कबीर दास जी के दोहे का भावार्थ यह है कि निंदक लोगों को हमेशा अपने पास रखना चाहिए, क्योंकि वे हमारी बुराइयों को उजागर कर हमें सुधारने में मदद करते हैं। जब हम किसी की निंदा करते हैं, तो हम वास्तव में उस व्यक्ति के अवगुणों को देख रहे होते हैं। यदि हम खुद को निंदक लोगों के आसपास रखते हैं, तो वे हमें हमारी अपनी बुराइयों को देखने में मदद करेंगे। इससे हम अपने आप को सुधारने और एक बेहतर इंसान बनने की तरफ अग्रसर करते हैं.
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