पावकरूपी राम है घटि-घटि रह्या समाइ हिंदी मीनिंग Pavakrupi Ram Hai Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit
पावकरूपी राम है, घटि-घटि रह्या समाइ।चित चकमक लागै नहीं, ताथै धूवाँ ह्वै-ह्वै जाइ॥
Pavak Rupi Ram Hai, Ghati Ghati Raha Samai,
Chitt Chakmak Lage Nahi, Tathe Dhuva Vhe Vhe Jai.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब के इस दोहे का आशय है की राम उस अग्नि के समान है जो भस्मावृत रहकर प्रत्येक हृदय में व्याप्त रहती है। हृदय रूपी चकमक पत्थर उससे स्पर्श नहीं हो पाता है। इसी कारण अग्नि धुआँ दे देकर रह जाती है।
The essence of this couplet by Kabir Sahib is that Ram (the Divine) is like that fire which, even though enveloped in ashes, remains present in every heart. The stone-like heart cannot feel its touch, which is why the fire smolders, emitting only smoke.
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