साँई बिन दरद करेजे होय मीनिंग Sai Bin Darad Kareje Meaning

साँई बिन दरद करेजे होय मीनिंग Sai Bin Darad Kareje Meaning : Kabir Ke Pad Hindi Arth/Bhavarth Sahit

साँई बिन दरद करेजे होय।
दिन नहिं चैन रात नहिं निंदिया, कासे कहूँ दुख होय।
आधी रतियाँ पिछले पहरवा, साँई बिना तरस रही सोय।
कहत कबीर सुनो भाई प्यारे, साँई मिले सुख होय॥ 
 
साँई बिन दरद करेजे होय मीनिंग
 
स्वामी / साईं के विरह से हृदय में पीड़ा होती है, दिन रात को चैन नहीं आती है और रात को भी नींद नहीं आती है। यह संताप / दुःख मैं किससे कहूं। आधी रात हो या पिछला पहर हो साईं के अभाव में नींद के लिए तरस रही है। आधी रात हो या पिछला पहर नींद के लिए जीवात्मा तरस रही है। जीवात्मा को तभी चैन मिल सकता है जब साईं/ईश्वर मिले।  कबीर इस दोहे में ईश्वर के बिना होने वाली पीड़ा का वर्णन करते हैं। कबीर कहते हैं कि जब ईश्वर नहीं होता है, तो मनुष्य के कलेजे में पीड़ा होती है। उसे दिन में चैन नहीं मिलता और रात में नींद नहीं आती। वह अपने दुख को किसी से कह भी नहीं पाता। वह आधी रात या पिछला पहर अपने ईश्वर के बिना एक नींद के लिए तरसता रहता है। कबीर कहते हैं कि ईश्वर को पाने के बिना मनुष्य को कोई सुख नहीं मिल सकता। जब ईश्वर मिल जाता है, तो मनुष्य के सारे दुख दूर हो जाते हैं और उसे चैन मिल जाता है।

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