चन्द्रप्रभा वटी लाभकारी आयुर्वेदिक वटी Chandraprabha Vati Benefits Uses Ingredients
चन्द्रप्रभा वटी एक अद्भुत आयुर्वेदिक योग आधारित वटी है, जो पुरुष और महिलाओं दोनों के लाभकारी होती है। इसे चिकित्सक की सलाह के उपरान्त किसी भी उम्र में लिया जा सकता है। चन्द्रप्रभा वटी का वर्णन आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथों, जैसे "रस तन्त्रसार" और "आयुर्वेद-सारसंग्रह," से प्राप्त होती है। वैद्य भी इसे गुणकारी और विश्वसनीय आयुर्वेदिक ओषधि मानते हैं।घटक द्रव्य Ingredients of Chandraprabha Vati
चन्द्रप्रभा वटी में निम्नलिखित द्रव्यों का मिश्रण होता है:- कपूर
- बच
- नागरमोथा
- चिरायता
- गिलोय
- देवदारु
- हल्दी
- अतीस
- दारू हल्दी
- पीपलामूल
- चित्रक
- धनिया
- हरड़
- बहेड़ा
- आवला
- चब्य
- बायविडंग
- गजपीपल
- सोंठ
- काली मिर्च
- पीपल
- सुवर्ण माक्षिक भस्म
- सज्जीखार
- जवाखार
- सेंधा नमक
- काला नमक
- सांभर नमक
उपरोक्त सभी द्रव्यों की मात्रा 3-3 ग्राम है। इसके अलावा, काली निशोथ, दन्तीमूल, तेजपत्र, दालचीनी, छोटी इलायची के दाने और वंश लोचन 10-10 ग्राम हैं। लोह भस्म की मात्रा 20 ग्राम, मिश्री 40 ग्राम, शुद्ध शिलाजीत 80 ग्राम और शुद्ध गूगल 80 ग्राम होती है। आयुर्वेद-सारसंग्रह में कुछ अन्य द्रव्यों जैसे छोटी इलायची, कबाबचीनी, गोखरू और सफेद चंदन भी शामिल किए गए हैं, जिससे इसकी गुणवत्ता और बढ़ जाती है।
कई अन्य निर्मातिओं के द्वारा निम्न योग का उपयोग भी किया जाता है-
- चंद्रप्रभा वटी के घटक – Composition of Chandraprabha Vati
- चन्द्रप्रभा (शटी/कर्चूर) (Hedychium spicatium Buch-Ham)
- वचा (Acorus calamus Linn.)
- मुस्ता (Cyperus rotundus Linn.)
- भूनिम्ब (किराततिक्त) (Swertia chirayita Roxb.ex.Flem.Karst.)
- अमृता (गुडुची) (Tinospora cordifolia (Willd))
- दारुक (देवदारु) (Cedrus deodara (Roxb.) Loud.)
- हरिद्रा (Curcuma longa Linn.)
- अतिविषा (Aconitum heterophylum Wall.)
- दार्वी (दारुहरिद्रा) (Berberis aristata DC)
- पिप्पलीमूल (Piper longum Linn.)
- चित्रक (Plumbago zeylanica Linn.)
- धान्यक (Coriandrum sativum Linn.)
- हरीतकी (Terminalia chebula Retz.)
- बिभीतक (Terminalia bellirica Roxb.)
- आमलकी (Emblica officinalis Gaertn.)
- चव्य (Piper retrofractum Vahl.)
- विडङ्ग (Embella ribes Burm.)
- गजपिप्पली (Piper longum Linn.)
- सोंठ (Zingiber officinale Rosc.)
- काली मिर्च (Piper nigrum Linn.)
- स्वर्णमाक्षिक
- यवक्षार (यव)
- सज्जीक्षार
- सैंधव लवण
- सौवर्चल लवण
- विड लवण
- त्रिवृत्
- दन्ती (Baliospermum montanum Muell.- Arg.)
- पत्रक (तेजपत्र) (Cinnamomum tamala)
- दालचीनी (Cinnamomum zeylanicum Breyn)
- एला (Elettaria cardamomum Maton.)
- पिप्पली (Piper longum Linn.)
- वंशलोचन (Bambusa arundinacea Willd.)
- हतलोह (लौह भस्म)
- सिता (मिश्री)
- शिलाजीत
- गुग्गुलु
निर्माण विधि
चन्द्रप्रभा वटी को बनाने की विधि दो ग्रंथों में अलग-अलग दी गई है:
रस तन्त्रसार व सिद्ध प्रयोग संग्रह के अनुसार:
सभी दवाइयों को अच्छे से कूट-पीसकर बारीक करना है। फिर थोड़ा-थोड़ा गोमृत डालते हुए कूटते रहें। इसके बाद, सभी को मिलाकर चने के बराबर गोलियां बना लें।
आयुर्वेद-सार संग्रह के अनुसार:
पहले गुग्गुल को साफ करके लोहे के इमामदस्ते में कूटें। जब गुग्गुल नरम हो जाए, तब उसमें शुद्ध शिलाजीत, भस्में और अन्य द्रव्यों का महीन चूर्ण डालें। फिर तीन दिन तक गिलोय का स्वरस डालते हुए खरल में घुटाई करें। अंत में, 3-3 रत्ती की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें।
चन्द्रप्रभा वटी की मात्रा और सेवन विधि
वैद्य की सलाह उपरान्त इस ओषधि को 2-2 गोली सुबह शाम शहद के साथ या दूध के साथ ली जा सकती हैं। चन्द्रप्रभा वटी के फायदे और उपयोग Uses and Benefits of Chandraprabha Vati
चन्द्रप्रभा वटी एक महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधि है, जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है, जैसा की आपने इसके घटक द्रव्यों से जाना है। इसके सेवन से शरीर में चंद्रमा जैसी कांति या चमक और बल पैदा होने लगती है, जैसा की इसके नाम से स्पष्ट हो जाता है। यह विशेष रूप से मूत्र-जननांग विकारों के लिए लाभदायक है। आइए जानते हैं इसके प्रमुख फायदों के बारे में।मूत्रेन्द्रिय विकारों के उपचार के लिए
चन्द्रप्रभा वटी का मुख्य उद्देश्य मूत्रेन्द्रिय और यौनांगों से जुड़ी समस्याओं को दूर करना है। यह पुरुषों के शुक्र और महिलाओं के आर्तव का उत्पादन करने वाले अंगों की समस्याओं को दूर करके उन्हें मजबूत बनाती है।चन्द्रप्रभा वटी के सेवन से पेशाब करने में जलन की समस्या जल्दी ठीक हो जाती है। यदि मूत्र आने में रुकावट या कठिनाई महसूस होती है, तो यह औषधि काफी फायदेमंद साबित होती है। यदि मूत्र में चीनी आ रही है, तो चन्द्रप्रभा वटी इसके उपचार में सहायता करती है। मूत्र में एल्ब्युमिन (Albumin) का आना, जिसे एल्ब्युमिनुरिया कहा जाता है, इस समस्या को भी चन्द्रप्रभा वटी से नियंत्रित किया जा सकता है। मूत्राशय की सूजन की समस्या से राहत पाने में भी यह वटी मदद करती है।लिंगेन्द्रिय की कमजोरी को दूर करने में भी चन्द्रप्रभा वटी प्रभावी है।
जोड़ों, कमर का दर्द दूर करने में सहायक
चंद्रप्रभा वटी एक प्रभावी दर्दनिवारक दवा भी है, यही कारण है की स्लिप डिस्क और कमर में दर्द, घुटनों के दर्द में यह आराम देती है। इसमें यूरिक एसिड को कम करने की विशेषताएं होती हैं, जो जोड़ों के दर्द, गठिया के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करती हैं। पेशाब में जलन को दूर करने के लिए
इस वटी के सेवन से मूत्रकृच्छ (पेशाब में रुकावट और जलन), प्रमेह, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, धातुक्षीणता, पथरी, भगंदर, अंडवृद्धि, बवासीर, कमर दर्द, और महिलाओं के गर्भाशय से जुड़े विकार जैसे श्वेत प्रदर और सुजाक जैसी समस्याएं दूर होती हैं। यह मूत्र में होने वाली अनेक विकृतियों को भी ठीक करती है।शुक्राणुओं की वृद्धि
चन्द्रप्रभा वटी शुक्राणुओं की नई उत्पत्ति को बढ़ावा देती है और रक्त में मौजूद तत्वों का शोधन एवं नवीनीकरण करती है। चन्द्रप्रभा वटी पुरुषों में अधिक शुक्र क्षरण और महिलाओं में अधिक रजस्राव के कारण होने वाली समस्याओं का समाधान करने में मददगार है। जब शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है
यह औषधि रक्त और अन्य धातुओं को मजबूत करती है और स्पर्म काउंट (sperm count) को बढ़ाने में मदद करती है। इसके अलावा, यह रक्त कोशिकाओं का शोधन और निर्माण करती है। यदि स्वप्नदोष (Nightfall) या शुक्रवाहिनी नाड़ियों में कमजोरी महसूस हो, तो इसे गुडुची के क्वाथ के साथ लेना फायदेमंद होता है।
यह औषधि रक्त और अन्य धातुओं को मजबूत करती है और स्पर्म काउंट (sperm count) को बढ़ाने में मदद करती है। इसके अलावा, यह रक्त कोशिकाओं का शोधन और निर्माण करती है। यदि स्वप्नदोष (Nightfall) या शुक्रवाहिनी नाड़ियों में कमजोरी महसूस हो, तो इसे गुडुची के क्वाथ के साथ लेना फायदेमंद होता है।
गर्भाशय की कमजोरी को दूर करने के लिए
महिलाओं के लिए, चन्द्रप्रभा वटी गर्भस्राव, गर्भपात, और गर्भाशय की कमजोरियों को दूर करने में मदद करती है। यह मासिक धर्म की अनियमितता, कष्ट, और श्वेत प्रदर जैसी समस्याओं के लिए भी लाभदायक है।पतंजलि चंद्रप्रभा वटी स्त्री रोगों के लिए एक प्रभावी है। यह गर्भाशय की कमजोरी को दूर कर उसे स्वस्थ बनाती है। जब गर्भाशय का आकार बढ़ जाता है या रसौली, बार-बार गर्भपात जैसी समस्याएं होती हैं, तो चंद्रप्रभा वटी का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। यह गर्भाशय से संबंधित रोगों को दूर कर उसे मजबूती प्रदान करती है। यदि महिलाओं को अधिक मैथुन या कई संतानें होने के कारण गर्भाशय कमजोर हो जाता है, या मासिक धर्म में कष्ट होता है, तो ऐसे मामलों में चंद्रप्रभा वटी का सेवन अशोक घृत या फलघृत के साथ करना चाहिए। यह उपाय समस्या को हल करने में काफी सहायक सिद्ध होता है। इस तरह, चंद्रप्रभा वटी एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प है जो महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है।
पतंजलि चंद्रप्रभा वटी बलवर्धक है, शारीरिक और मानसिक शक्ति बढ़ाने के लिए
कमजोर और थके हुए व्यक्तियों के लिए, चन्द्रप्रभा वटी का नियमित सेवन बहुत फायदेमंद होता है। 2-2 गोली सुबह और शाम लेने से शरीर में ऊर्जा और ताकत में सुधार होता है। पतंजलि चंद्रप्रभा वटी के नियमित सेवन से आपकी शारीरिक और मानसिक शक्ति में सुधार होता है। यह दवा थकान और तनाव को कम करके शरीर में ऊर्जा भरती है और आपकी स्मरण शक्ति को बढ़ाती है। इसके फायदे को देखते हुए इसे एक सम्पूर्ण स्वास्थ्य टॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। चंद्रप्रभा वटी के साथ लोध्रासव या पुनर्नवासव का सेवन करना भी लाभकारी होता है। यह न केवल एक टॉनिक है, बल्कि यह शरीर को विभिन्न प्रकार के टॉक्सिन्स से भी मुक्त करने में मदद करती है। किडनी रोगों में लाभकारी Benefits of Chandraprabh Vati for Kidney related disorders
जब किडनी खराब होती है, तो मूत्र का उत्पादन कम हो जाता है, जिससे शरीर में कई रोग उत्पन्न हो सकते हैं। मूत्राशय में विकृति होने पर मूत्र आने पर जलन, पेडू में जलन, और मूत्र का रंग लाल या दुर्गंधयुक्त होने जैसी समस्याओं में चंद्रप्रभा वटी अत्यधिक उपयोगी है। यह किडनी की कार्यक्षमता को बढ़ाती है और शरीर को साफ करने में मदद करती है। यह बढ़े हुए यूरिक एसिड और यूरिया को शरीर से बाहर निकालने में सहायक होती है। यदि आप किडनी रोगों से पीड़ित हैं, तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लेकर चंद्रप्रभा वटी का उपयोग करना चाहिए। मधुमेह में चन्द्रप्रभा वटी के फायदे
स्वामी रामदेव चंद्रप्रभा वटी मधुमेह (डायबिटीज) की रोकथाम के लिए चन्द्रप्रभा वटी के सेवन का सुझाव देते हैं। चंद्रप्रभा वटी रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती है, जिससे शरीर में ऊर्जा का संतुलन बना रहता है। इसके नियमित सेवन से न केवल रक्त शर्करा का स्तर स्थिर रहता है, बल्कि यह अन्य शारीरिक समस्याओं को भी दूर करने में सहायक होती है। पुराने/ जीर्ण रोगों के लिए लाभकारी
पुराने रोगों के लिए, धैर्यपूर्वक 3-4 महीने तक चन्द्रप्रभा वटी का सेवन करना चाहिए। उचित खानपान और परहेज के साथ यह औषधि पुराने रोगों से राहत दिलाने में सहायक होती है। चंद्रप्रभा वटी का उपयोग कैसे करें Doses of Chandraprabha Vati
इसका सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक वैद्य की सलाह अवश्य लें।आमतौर पर यह गोलियों के रूप में उपलब्ध होती है। इसकी सेवन विधि इस प्रकार है:मात्रा: प्रतिदिन दो-दो गोलियां सुबह और शाम लेना चाहिए।
इन गोलियों को सामान्य पानी या दूध के साथ लेना बेहतर होता है। यदि शरीर में कमजोरी महसूस हो रही हो, तो इसे दूध के साथ लेना अधिक फायदेमंद होता है।
इन गोलियों को सामान्य पानी या दूध के साथ लेना बेहतर होता है। यदि शरीर में कमजोरी महसूस हो रही हो, तो इसे दूध के साथ लेना अधिक फायदेमंद होता है।
चंद्रप्रभा वटी का आयुर्वेद में उल्लेख
चंद्रप्रभा वटी का वर्णन आयुर्वेद के शार्ङ्गधर संहिता ग्रंथ में किया गया है। इसमें इसके लाभ और उपयोग की जानकारी दी गई है। यहाँ पर कुछ महत्वपूर्ण श्लोक दिए गए हैं:
चद्रप्रभा वचा मुस्तं भूनिम्बामृतदारुकम्।
हरिद्रा।तिविषादार्वी पिप्पलीमूलचित्रकौ।।
धान्यकं त्रिफला चव्यं विडङ्गं गजपिप्पली।
व्योषं माक्षिकधातुश्च द्वौ क्षारौ लवणत्रयम्।।
एतानि शाणमात्राणि प्रत्येकं कारयेद् बुध।
त्रिवृद्दन्ती पत्रकं च त्वगेला वंशरोचना।।
प्रत्येकं कर्षमात्राणि कुर्यादेतानि बुद्धिमान्।
द्विकर्षं हतलोहं स्याच्चतुष्कर्षा सिता भवेत्।।
शिलाजत्वष्टकर्षं स्यादष्टौ कर्षाश्च गुग्गुलो।
एभिरेकत्र संक्षुण्णै कर्त्तव्या गुटिका शुभा।।
चद्रप्रभेति विख्याता सर्वरोगप्रणाशिनी।
प्रमेहान्विंशतिं कृच्छं मूत्राघातं तथा।श्मरीम्।।
विबन्धानाहशूलानि मेहनं ग्रन्थिमर्बुदम्।
अण्डवृद्धिं तथा पाण्डुं कामलां च हलीमकम्।।
आत्रवृद्धिं कटीशूलं श्वासं कासं विचर्चिकाम्।
कुष्ठान्यर्शांसि कण्डूं च प्लीहोदरभगन्दरम्।।
दन्तरोगं नेत्ररोगं त्रीणामार्त्तवजां रुजम्।
पुटंसां शुक्रगतान्दोषान्मन्दाग्निमरुचिं तथा।।
वायुतं पित्तं कपैं हन्याद् बल्या वृष्या रसायनी।
चद्रप्रभायां कर्षस्तु चतुशाणो विधीयते।।
शार्ङ्ग.म.ख.7/40-49
इस ग्रंथ में चंद्रप्रभा वटी को विभिन्न रोगों के उपचार के लिए अत्यधिक प्रभावी बताया गया है। इसके सेवन से मूत्र संबंधी समस्याओं, पित्त विकारों, रक्त विकारों, और अन्य अनेक स्वास्थ्य समस्याओं में लाभ होता है। चंद्रप्रभा वटी का उपयोग शरीर की ताकत बढ़ाने और विभिन्न रोगों से रक्षा करने में मदद करता है, जिससे यह आयुर्वेदिक चिकित्सा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाती है।
चंद्रप्रभा वटी के नुकसान
चंद्रप्रभा वटी के सामान्य रूप से कोई साइड इफेक्ट नहीं होते हैं, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। इसमें लोहे की मात्रा होती है, जिससे निम्नलिखित रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को इसे लेने से बचना चाहिए:- अगर किसी व्यक्ति को पेट में अल्सर की समस्या है, तो चंद्रप्रभा वटी का सेवन करने से स्थिति बिगड़ सकती है।
- थैलेसीमिया जैसी रक्त विकारों में भी चंद्रप्रभा वटी का उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह शरीर में आयरन की मात्रा को बढ़ा सकती है।
चंद्रप्रभा वटी के घटक – Composition of Chandraprabha Vati
- चन्द्रप्रभा (शटी/कर्चूर) (Hedychium spicatium Buch-Ham)
- वचा (Acorus calamus Linn.)
- मुस्ता (Cyperus rotundus Linn.)
- भूनिम्ब (किराततिक्त) (Swertia chirayita Roxb.ex.Flem.Karst.)
- अमृता (गुडुची) (Tinospora cordifolia (Willd))
- दारुक (देवदारु) (Cedrus deodara (Roxb.) Loud.)
- हरिद्रा (Curcuma longa Linn.)
- अतिविषा (Aconitum heterophylum Wall.)
- दार्वी (दारुहरिद्रा) (Berberis aristata DC)
- पिप्पलीमूल (Piper longum Linn.)
- चित्रक (Plumbago zeylanica Linn.)
- धान्यक (Coriandrum sativum Linn.)
- हरीतकी (Terminalia chebula Retz.)
- बिभीतक (Terminalia bellirica Roxb.)
- आमलकी (Emblica officinalis Gaertn.)
- चव्य (Piper retrofractum Vahl.)
- विडङ्ग (Embella ribes Burm.)
- गजपिप्पली (Piper longum Linn.)
- सोंठ (Zingiber officinale Rosc.)
- काली मिर्च (Piper nigrum Linn.)
- स्वर्णमाक्षिक
- यवक्षार (यव)
- सज्जीक्षार
- सैंधव लवण
- सौवर्चल लवण
- विड लवण
- त्रिवृत्
- दन्ती (Baliospermum montanum Muell.- Arg.)
- पत्रक (तेजपत्र) (Cinnamomum tamala)
- दालचीनी (Cinnamomum zeylanicum Breyn)
- एला (Elettaria cardamomum Maton.)
- पिप्पली (Piper longum Linn.)
- वंशलोचन (Bambusa arundinacea Willd.)
- हतलोह (लौह भस्म)
- सिता (मिश्री)
- शिलाजीत
- गुग्गुलु
अगर आप इन समस्याओं से ग्रसित हैं या किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहे हैं, तो चंद्रप्रभा वटी का सेवन करने से पहले हमेशा डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह लें। इससे आप संभावित जोखिमों से बच सकते हैं और सुरक्षित तरीके से उपचार प्राप्त कर सकते हैं।
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