ऊँट और गीदड़ की कहानी Camel And Jackal Motivational Story

ऊँट और गीदड़ की कहानी Camel And Jackal Motivational Story

दोस्ती का रिश्ता बड़ा ही प्यारा होता है, लेकिन इसमें ईमानदारी और सच्चाई का होना बहुत जरूरी है। एक सच्चा दोस्त वो होता है जो अपने साथी का साथ हर परिस्थिति में निभाए, न कि उसे धोखा दे। आज हम एक ऐसी दिलचस्प और प्रेरणादायक कहानी लेकर आए हैं, जो हमें बताती है कि किसी को भी धोखा देना आखिरकार हमारे लिए ही नुकसानदायक साबित हो सकता है। यह कहानी है एक चालाक गीदड़ और एक सीधे-सादे ऊँट (Unt Aur Geedad Ki Kahani ) की, जिनकी दोस्ती ने हमें कई महत्वपूर्ण सीखें दी हैं। तो आइए, जानते हैं इस कहानी के माध्यम से कि सच्ची मित्रता में ईमानदारी का क्या महत्व है और क्यों हमें कभी भी दूसरों को हानि पहुँचाने की चेष्टा नहीं करनी चाहिए।

ऊँट और गीदड़ की कहानी

ऊँट और गीदड़ की कहानी- बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में दो पक्के दोस्त रहते थे - एक गीदड़, जो बेहद चालाक था, और दूसरा ऊँट, जो सरल और सीधा-साधा था। दोनों के स्वभाव में भले ही फर्क था, लेकिन दोनों घंटों नदी किनारे बैठकर अपनी बातें साझा करते और अपना सुख-दुख एक-दूसरे से बांटते। समय के साथ उनकी दोस्ती और गहरी होती गई।

एक दिन गीदड़ को खबर मिली कि पास के खेत में पके हुए मीठे तरबूज़ हैं। यह सुनते ही उसके मन में लालच आ गया, लेकिन खेत नदी के दूसरी ओर था, और गीदड़ तैरना नहीं जानता था। उसने सोचा कि कैसे उस खेत तक पहुँचा जाए। तब उसे अपने दोस्त ऊँट की याद आई। गीदड़ ने चालाकी से ऊँट के पास जाकर कहा, "मित्र, पास के खेत में बहुत मीठे तरबूज़ हैं। मैंने सोचा, क्यों न हम दोनों चलकर उनका आनंद लें?"

ऊँट को तरबूज़ बहुत पसंद थे, उसने तुरंत जाने का मन बना लिया। लेकिन गीदड़ ने कहा, "मुझे तैरना नहीं आता, अगर तुम मुझे अपनी पीठ पर बिठाकर नदी पार करा दोगे, तो हम साथ में तरबूज़ का मजा ले सकते हैं।" ऊँट ने उसकी बात मान ली और गीदड़ को अपनी पीठ पर बैठाकर नदी पार करवा दी।

Camel And Jackal Motivational Story

खेत में पहुँचकर दोनों ने तरबूज़ खाना शुरू किया। गीदड़ ने मन भरकर तरबूज़ खाए और खुशी के मारे जोर-जोर से चिल्लाने लगा। ऊँट ने उसे चेताया कि शोर न मचाए, नहीं तो किसान आ जाएंगे। लेकिन गीदड़ ने उसकी बात अनसुनी कर दी और शोर मचाता रहा। गीदड़ की आवाज सुनकर किसान डंडे लेकर खेत में आ गए। गीदड़ तो चालाक था, वो पेड़ों के पीछे छिप गया, लेकिन ऊँट छुप नहीं पाया और किसान ने उसे बहुत मारा।

किसी तरह अपनी जान बचाकर ऊँट खेत से बाहर निकला। नदी के पास पहुँचते ही ऊँट ने गीदड़ को फिर से अपनी पीठ पर बिठा लिया। लेकिन ऊँट ने सोच लिया था कि वह गीदड़ को उसकी चालाकी का सबक सिखाएगा। जब वो नदी के बीच में पहुँचे, तो ऊँट ने अचानक डुबकी लगाना शुरू कर दिया। गीदड़ घबराया और चिल्लाने लगा, "तुम क्या कर रहे हो?" ऊँट ने जवाब दिया, "मुझे खाना पचाने के लिए डुबकी लगानी पड़ती है।" गीदड़ को समझ में आ गया कि ऊँट बदला ले रहा है। जैसे-तैसे उसने अपनी जान बचाई और नदी पार कर किनारे पहुँचा। उस दिन के बाद गीदड़ ने कभी ऊँट के साथ चालाकी करने की हिम्मत नहीं की।

दूसरों के साथ चालाकी या धोखा करना खुद के लिए हानिकारक साबित होता है।

कहानी की शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि दूसरों के साथ चालाकी या धोखा करना खुद के लिए हानिकारक साबित होता है। जो जैसा करता है, उसे वैसा ही फल मिलता है। हमें हमेशा सच्चाई, ईमानदारी और मित्रता का मान रखना चाहिए, क्योंकि सच्ची मित्रता का आधार सच्चाई और विश्वास पर ही होता है।
 
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इस कहानी का संदेश यह है कि जीवन में किसी के साथ धोखा या चालाकी करना अंततः स्वंय के लिए कष्टकारी होता है। आज के दौर में रिश्तों में सच्चाई और ईमानदारी का महत्व और भी बढ़ गया है, क्योंकि आधुनिक जीवन में हम अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक रिश्तों में विश्वास पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं। चाहे वह दोस्ती हो, पारिवारिक संबंध हों, या व्यवसाय में साझेदारी, किसी भी प्रकार की चालाकी या स्वार्थ का परिणाम रिश्तों में टूट की एक वजह बनती है।
 
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