भूतनाथ के द्वार पे जो भी अपना शीष झुका देता है

भूतनाथ के द्वार पे जो भी अपना शीष झुका देता है

भूतनाथ के द्वार पे जो भी,
अपना शीश झुका देता है,
चिंताओं की सारी लकीरें,
चिंताओं की सारी लकीरें,
बाबा भूतनाथ मिटा देता है।।

जमाने की ठोकरें,
जो खाकर के हारा,
वो इस दर पे आकर,
ना रहता बेचारा।
भूतनाथ से बढ़के ना कोई,
देव है अलबेला,
कोई देव है अलबेला,
उम्मीदों को, आशाओं को,
उम्मीदों को, आशाओं को,
बाबा टूटने ही नहीं देता है,
बाबा टूटने ही नहीं देता है।।

मेरा शिव बम भोला,
बड़ा ही है भोला,
जो मांगो सब देता,
ऐसा है मस्त मौला।
मालिक तीनों लोकों का है,
फिर भी है बैरागी,
भोले फिर भी है बैरागी,
रखता चिता की राख स्वयं ये,
रखता चिता की राख स्वयं ये,
बाकी सब कुछ ही लुटा देता है,
बाकी सब कुछ ही लुटा देता है।।

गुरु महिपाल जी की,
श्रद्धा और भक्ति ने,
जगाई इस दर की,
अलख ज्योति जग में।
कोटि~कोटि नमन करूं,
महिपाल गुरु जी को,
महिपाल गुरु जी को,
इस दरबार में आने वाला,
इस दरबार में आने वाला,
खुद को भाग्यशाली बना लेता है,
खुद को भाग्यशाली बना लेता है।।

भूतनाथ के द्वार पे जो भी,
अपना शीश झुका देता है,
चिंताओं की सारी लकीरें,
चिंताओं की सारी लकीरें,
बाबा भूतनाथ मिटा देता है।।


Bhootnath Ke Dwar Pe || Manoj Mishra || Latest Baba Bhootnath Bhajan 2023

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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