इंसाफ का दर है तेरा भजन

इंसाफ का दर है तेरा भजन

इंसाफ का दर है तेरा,
यही सोच के आता हूँ,
हर बार तेरे दर से,
खाली ही जाता हूँ,
इंसाफ का दर है तेरा,
यही सोच के आता हूँ।।

आवाज़ लगाता हूँ,
क्यों जवाब नहीं मिलता,
दानी हो सबसे बड़े,
मुझको तो नहीं लगता,
शायद किस्मत में नहीं,
दिल को समझाता हूँ,
इंसाफ का दर है तेरा,
यही सोच के आता हूँ।।

जज़्बात दिलों के प्रभु,
धीरे से सुनाता हूँ,
देखे ना कहीं कोई,
हालात छुपाता हूँ,
सब हँसते हैं मुझ पर,
मैं आँसू बहाता हूँ,
इंसाफ का दर है तेरा,
यही सोच के आता हूँ।।

दीनों को सताने का,
अंदाज़ पुराना है,
देरी से आने का,
बस एक बहाना है,
खाली जाने से प्रभु,
दिल में शर्माता हूँ,
इंसाफ का दर है तेरा,
यही सोच के आता हूँ।।

हैरान हूँ प्रभु तुमने,
दुखियों को लौटाया है,
फिर किसके लिए तुमने,
दरबार लगाया है,
‘बनवारी’ महिमा तेरी,
कुछ समझ ना पाता हूँ,
इंसाफ का दर है तेरा,
यही सोच के आता हूँ।।

इंसाफ का दर है तेरा,
यही सोच के आता हूँ,
हर बार तेरे दर से,
खाली ही जाता हूँ,
इंसाफ का दर है तेरा,
यही सोच के आता हूँ।।


इंसाफ का दर है तेरा (Insaf Ka Dar Hai Tera) - Must Watch Popular Shyam Bhajan By Sanju Sharma

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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