शेर और मूर्ख ऊंट की प्रेरणादायक कहानी

स्वागत है मेरी पोस्ट में, इस पोस्ट में हम एक प्रेरणादायक कहानी "शेर और ऊंट की कहानी" के बारे में जानेंगे। यह कहानी एक ऐसे ऊंट की है जो जंगल में भटक गया था और शेर के साथ रहने लगा। लेकिन आगे चलकर उसे ऐसी चालों और धोखेबाज दोस्तों का सामना करना पड़ा जो उसकी सरलता और भोलेपन का फायदा उठाना चाहते थे। इस कहानी से हमें यह समझने का मौका मिलता है कि हमें कभी भी अज्ञानी बनकर दूसरों की मीठी-मीठी बातों पर भरोसा नहीं करना चाहिए। चलिए जानते हैं इस दिलचस्प और शिक्षाप्रद कहानी के बारे में।
 
शेर और ऊंट की कहानी Sher Aur Unt Ki Kahani Panchtantra

शेर और ऊंट की कहानी

किसी घने जंगल में एक भयानक शेर रहा करता था, जिसके साथ उसके तीन सेवक कौआ, सियार और चीता हमेशा रहते थे। शेर रोज शिकार करता और बचे हुए मांस से ये तीनों अपनी भूख मिटाते थे।

एक दिन जंगल में एक ऊंट भटकता हुआ आ गया। शेर ने कभी ऊंट नहीं देखा था, इसलिए कौए ने बताया कि यह ऊंट है और यह सामान्यतः जंगल में नहीं रहता। कौए ने सुझाव दिया कि शेर उसे शिकार बना लें। चीता और सियार ने भी इस सुझाव का समर्थन किया।

लेकिन शेर ने कहा, "नहीं, वह हमारा मेहमान है, उसका शिकार करना ठीक नहीं होगा।" शेर ऊंट के पास गया और उसकी स्थिति पूछी। ऊंट ने बताया कि वह अपने झुंड से बिछड़कर यहां आ गया है। शेर को उस पर दया आ गई और उसने ऊंट को आश्वासन दिया कि वह जंगल में सुरक्षित है। शेर की बात मानकर ऊंट जंगल में बस गया और जल्दी ही वहां की हरियाली और भोजन से तंदुरुस्त हो गया।

कुछ समय बाद, शेर का एक जंगली हाथी से संघर्ष हुआ जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गया। इस कारण वह शिकार पर नहीं जा पा रहा था, और धीरे-धीरे कमजोर हो गया। शेर के साथ उसके सेवक कौआ, सियार और चीता भी भूख से कमजोर होने लगे।

सियार ने शेर से कहा, "महाराज, आप बहुत कमजोर हो गए हैं। अगर जल्दी कुछ शिकार नहीं किया तो हालात और बिगड़ जाएंगे।" शेर ने जवाब दिया कि वह शिकार के लिए जंगल में जाने की स्थिति में नहीं है। उसने अपने सेवकों से कहा कि यदि वे किसी जानवर को यहां ला सकें, तो वह उसे शिकार बनाकर उनकी भूख मिटा दें।

सियार ने तुरंत कहा, "महाराज, यदि आप चाहें तो ऊंट को लाकर उसके मांस से अपनी और हमारी भूख मिटा लें।" शेर ने सख्ती से कहा कि ऊंट उसका मेहमान है, और वह उसका शिकार नहीं करेगा।

सियार ने कहा, "महाराज, अगर ऊंट खुद को आपके सामने समर्पित कर दे तो क्या आप उसे शिकार बनाएंगे?" शेर ने कहा, "यदि वह खुद से ऐसा करता है, तो मैं उसे खा लूंगा।"

सियार ने कौए और चीते के साथ मिलकर एक चाल बनाई। वे ऊंट के पास गए और बोले, "महाराज शेर बहुत कमजोर हो गए हैं, और हमारी भी हालत खराब है। शेर को खाना नहीं मिल रहा है, अगर महाराज चाहें तो हमें खा लें।"


कौआ, चीता, और सियार ने एक-एक करके खुद को शेर के सामने समर्पित करने की बात कही, लेकिन हर बार एक बहाने से एक-दूसरे को मना कर दिया। यह देखकर ऊंट को लगा कि शायद उसे भी शेर कुछ नहीं करेगा। भोलेपन से ऊंट भी बोला, "महाराज, आप मुझे अपना भोजन बना लें।" इतना सुनते ही शेर, चीता, और सियार उस पर झपट पड़े और उसे मारकर खा गए।

कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी चालाक और धोखेबाज लोगों की मीठी बातों में आकर निर्णय नहीं लेना चाहिए। भोलेपन और अज्ञानता के कारण हम धोखे का शिकार हो जाते हैं। हमेशा अपनी समझ का उपयोग करें और किसी भी स्थिति में बिना सोचे-समझे अपने को किसी के भरोसे पर ना छोड़ें।

 

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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