दस्स दे मेरे दातेया मैनू इक थाह

दस्स दे मेरे दातेया मैनू इक थाह

दस दे मेरे दातेया,
नचदी, टपदी, वसदी ऐ,
दुनिया एक तमाशा ऐ,
मतलब दे सब संगी-साथी,
सबने छड़ के जाना ऐ,
फड़ ले पलड़ा मुर्शिद दा,
जेडा पार लगावण वाला ऐ।।

दस दे मेरे दातेया,
मैनूं इक थाह,
जिथे मिल-जुल रहंदा होवे,
हर इक इंसान।।

मोह-माया ते दुनिया विच,
कोई गैर न होवे,
तेरी-मेरी वाला कोई,
हां वैर न होवे,
दिसण नजारे खुशियां दे,
हर इक उस थाह,
जिथे मिल-जुल रहंदा होवे,
हर इक इंसान।।

ना होवे जग विच उदास कोई,
वी ज़िंदगी,
शक्कर वांगूं मिठड़ी होवे,
हां सब दी वाणी,
प्यार, भाव, सत्कार होवे,
हर इक उस थाह,
जिथे मिल-जुल रहंदा होवे,
हर इक इंसान।।

मेरी वी सुन लै अरज़,
ओ मेरे दातेया,
चरणां दे विच रख ले,
मेरे दातेया,
झूठी दुनिया दे विच,
दस दे मैनूं ओ इक थाह,
जिथे मिल-जुल रहंदा होवे,
हर इक इंसान।।

दस दे मेरे दातेया,
मैनूं इक थाह,
जिथे मिल-जुल रहंदा होवे,
हर इक इंसान।।


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