देखो राधा कृष्ण की धरती, कितना सुंदर धाम पे है, भुमि पे बैकुंठ यही है, यही बसे मेरे प्राण है, पंछी पुकारे राधा राधा, यमुना पुकारे कृष्ण नाम हैं, जिसको कहते है, वृंदावन धाम री सखी,
यही मिलते है राधाश्याम री सखी।
यमुना तट पर राधा के संग, कृष्ण ने जग को प्रेम सिखाया, हर मंदिर से हर मूरत से, भटके मन को रस्ता दिखाया।
राधा रमण का शाब्दिक अर्थ होता है "राधा के साथ रमण करने वाले" या "राधा के प्रिय।" यह शब्द भगवान श्रीकृष्ण का एक प्रिय है, जो राधा रानी के प्रति गहरी भक्ति और प्रेम को दर्शाता है। इस नाम में राधा और कृष्ण के दिव्य प्रेम और उनके आध्यात्मिक मिलन की झलक मिलती है। भक्ति परंपरा में, "राधा रमण" का उल्लेख उन संदर्भों में किया जाता है जहां भगवान कृष्ण को राधा के सखा, साथी और प्रेमी के रूप में देखा जाता है।
राधा रमण नाम का एक विशेष महत्व वृंदावन में भी है, जहां "राधा रमण मंदिर" स्थित है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की एक दिव्य मूर्ति स्थापित है, जिसे भक्तजन बड़े प्रेम और श्रद्धा के साथ पूजते हैं। यह नाम भक्तों के बीच राधा-कृष्ण की अनन्य भक्ति और प्रेम की भावना को जागृत करता है।
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