एक दृश्य इतिहास पुराना, खेल जुए का चला हुआ, एक और थे पांडव पांचों, और दुर्योधन अड़ा हुआ।
वो मन के हारे तन के हारे, बैठे पांचों भाई बेचारे, स्वयं दांव पर लगे थे पांचों, पासों को बस देखते जा रहे।
हाथों से बस फेंकते जा रहे, रुके न फिर भी खेलते जा रहे, झुके हार कर दास थे सारे, शर्मसार हो धर्मराज, खुद सत्य आज स्वीकारे।
अब खेल यहीं पे अंत करो सब, शेष नहीं कुछ बचा हमारे, पार लगाने दांव, अब डूब चुकी है नाव।
बोल उठा फिर कर्ण बीच में, रीत पतन की शुरू हुई, तुम कहते कुछ शेष नहीं है, पांचाली पर बची हुई।
वो राजकुमारी मृगनयनी, उसका भी दांव लगाओ तुम, जीते तो पूरा खेल तुम्हारा, वरना हार के जाओ तुम।
खौल उठा फिर रक्त क्रोध में,
पांडव फिर भी बुत बने थे, गुरु द्रोण धृतराष्ट्र पितामह, बैठे सारे मूक बने।
हो दु:शासन से चूक भले, पर जाने का संदेश दिया, तुम पकड़ केश पांचाली को, लेकर आओ आदेश दिया।
फिर वस्त्र में लिपटी मर्यादा थी, धर्म युद्ध में जूझ रही, किसने ऐसा आदेश दिया, चिल्ला-चिल्ला कर पूछ रही।
फिर एक नजर में खुद को देखा, दूजे ही पल बोल उठी, किसने तुझको अधिकार दिया, धैर्य की शक्ति डोल उठी।
कुरु वंश की मर्यादा मैं, संबंधों का वादा हूं, नारी का तुम सम्मान करो, इस वंश की मैं मर्यादा हूं।
जिसने तुमको आदेश दिया, मेरा संदेश सुना देना, पांचाली ना आने वाली, जाकर उन्हें बता देना।
कि मर्यादा और नियम कायदों, का ना तुमसे पालन होता, मुख उठाके बस चले आए क्यों, तुमने ना कुछ एक पल सोचा।
कहा बहुत कुछ सुना ना कुछ भी,
devotional Bhajan Lyrics in Hindi
बाल पकड़ कर खींचे खुद ही, दु:शासन की ज़िद ऐसी, इस पापों के अंबार में, निर्झर और निर्लज्ज देह एक, अपराधी संसार में।
फिर खड़ी द्रौपदी डरी और भी, कोई एक शब्द ना आज कहा, दु:शासन ने दुस्साहस में पाप करा, ना दुर्योधन को लाज यहां।
हरकत से आए बाज कहा, हरदम नफरत के साथ रहा, वो राजसभा को भूल गई, हर मर्यादा को भूल गई, गिरे आंख से आंसू इतने, मुरझाए थे फूल कई।
जब भीतर से वो टूट गई, माधव लेकर के रूप कई, बैठे उन सब से दूर कई, पर अनहोनी मंजूर नहीं, पांचाली कमजोर नहीं।
मशहूर बड़ी शक्ति माधव की, चारों और महत्ता थी, और माधव की मुट्ठी में, तीनों लोकों की सत्ता थी।
वह माधव जिनके पैदा होने पर, माया छा जाती हो, सभी सैनिकों को पहरे पर ही, निद्रा आ जाती हो।
ताले बेड़ी और द्वार भी,
खुद ही खुद खुल जाते हो, सभी देवता गण जिनके, चरणों पर पुष्प चढ़ाते हो।
जिनके चरणों के वंदन को, यमुना जल आता हो, शेषनाग जिनकी रक्षा हित, अपना फन फैलाता हो।
दुष्ट कंस की काया का जो, पल में ही मर्दन कर दें, नाग कालिया के मस्तक पर, ठुमक-ठुमक नर्तन कर दें।
जिनका चक्र सुदर्शन उनकी, उंगली पर ही रहता हो, तीनों लोकों का बुद्धि और बल, जिसमें ही बहता हो।
सरस सलिल सुंदर सरिताओं, संग समन्वित सागर है, अगम अगोचर आदि अखंडित, और अनश्वर अक्षर है।
जिस परमपिता परमेश्वर की, शक्ति का कोई अंत नहीं, जिनके आगे प्रश्न कभी भी, कोई राह ज्वलंत नहीं।
माया का किया प्रबंध वहीं पे, शुरू किया एक द्वंद्व सभी चकराए।
फिर कितने आए करने ट्राय, जितना चाहे खींचे जाए, चला किसी का जोर नहीं, साड़ी का अंतिम छोर नहीं।
नारी इतनी कमजोर नहीं, गिरधारी है घनघोर वही, माधव की लीला दूर बनी, फिर बोल पड़ी-
हूं पांचाली मैं राजवधू, पर समझा न कोई आज वधू, की लाज रखूं प्रण आज करूं, ये बाल लहू से धुले न जब तक, खुले रहेंगे ये तब तक, गिरेंगे मस्तक बचेंगे कब तक।
जालसाज है, कुरु राज के सर्वनाश की साक्षात है, आज खास ये दस्तक।
श्रीकृष्ण और द्रौपदी चीरहरण पर आधारित यह रेप महाभारत के अत्यंत भावुक और प्रेरणादायक प्रसंग को प्रस्तुत करता है। इस में द्रौपदी के अदम्य साहस और श्रीकृष्ण की दैवीय शक्ति का वर्णन किया गया है। जब धर्म पर संकट आया और पांडव हार की स्थिति में थे, तब श्रीकृष्ण ने अपने दिव्य चमत्कार से द्रौपदी की लाज बचाई। यह दर्शाया गया है कि अधर्म कितना ही प्रबल क्यों न हो, धर्म और सच्चाई की हमेशा विजय होती है। यह रेप हमें यह सिखाता है कि कठिनाइयों में ईश्वर का स्मरण और उनका आश्रय लेने से असंभव भी संभव हो जाता है। श्रीकृष्ण की लीला न्याय और सत्य के प्रतीक हैं यह हमारे जीवन को प्रेरित करती है।
श्री कृष्ण & द्रौपदी चीर हरण | EPIC MAHABHARAT Battle Hindi Rap Song
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