मन रा लाडुवां सूं भूख नीं भाग्या करै हिंदी अर्थ

मन रा लाडुवां सूं भूख नीं भाग्या करै: राजस्थानी मुहावरा / Rajasthani Idiom

हिंदी में अर्थ- भूख को शांत करने के लिए तो भोजन करना पड़ता है, ऐसे ही परिणाम के लिए कार्य का होना आवश्यक है।  राजस्थानी संस्कृति में यह मुहावरा गहरे जीवन दर्शन को दर्शाता है। "मन रा लाडुवां सूं भूख नीं भाग्या करै" का मतलब है कि केवल कल्पना और सोच से वास्तविक परिणाम नहीं मिलते। जैसे लड्डुओं के ख्याल मात्र से भूख शांत नहीं हो सकती, वैसे ही बिना कर्म के केवल विचारों से कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। यह मुहावरा जीवन में मेहनत और कर्म की महत्ता को दर्शाता है और हमें यह सिखाता है कि खाली सपनों पर निर्भर रहकर कुछ भी प्राप्त नहीं होता। मन के लड्डू से, मन के विचारों से धरातल पर, वास्तव में कुछ भी प्राप्त नहीं होता है। जैसे कल्पना के लड्डुवों से भूख शांत नहीं होती है। आशय है की ख़याली पुलाव से कुछ भी प्राप्त नहीं होता है।

मन रा लाडुवां सूं भूख नीं भाग्या करै

English Meaning- The Rajasthani idiom "Man Ra Ladwa Soon Bhukh Neen Bhagya Kare" means that hunger cannot be satisfied by imagining sweets, symbolizing that mere thoughts and dreams cannot yield real results without effort and action.

विस्तृत अर्थ (हिंदी)- इस मुहावरे का गहरा अर्थ यह है कि कल्पनाएं और विचार तभी सफल होते हैं, जब उन्हें कर्म और प्रयास का सहारा मिलता है। केवल सपनों और ख्यालों के भरोसे रहने से जीवन में कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। यह मुहावरा हमें जीवन में यथार्थवादी होने की प्रेरणा देता है और हमें यह सिखाता है कि कार्य ही सफलता की कुंजी है। राजस्थानी समाज, जो अपनी मेहनत और धैर्य के लिए जाना जाता है, इस मुहावरे के माध्यम से कर्मठता और यथार्थवादी दृष्टिकोण को महत्व देता है।

This idiom highlights the futility of mere thoughts and dreams without concrete action. It serves as a reminder that success requires effort and perseverance, and dreams alone cannot lead to achievement. Rooted in Rajasthani culture, which values hard work and determination, the idiom encourages individuals to act practically and turn their aspirations into reality.

राजस्थानी मुहावरे और उनके अर्थ / जीवन में कर्म की महत्ता / ख़याली पुलाव का अर्थ / राजस्थानी कहावतों का जीवन दर्शन
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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