मूंछ्या रा चावळ राखणा राजस्थानी मुहावरा / Rajasthani Phrase
हिंदी में अर्थ- राजस्थानी भाषा और संस्कृति में "मूंछ" को मान-सम्मान और प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है। "मूंछ्या रा चावळ राखणा" का अर्थ है अपनी प्रतिष्ठा और आत्म-सम्मान को बनाए रखना। यह मुहावरा किसी व्यक्ति के स्वाभिमान, गौरव और सम्मान की रक्षा के प्रति उसकी सजगता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह कहावत राजस्थानी जीवन में गहराई से रची-बसी है, जहां हर व्यक्ति अपने मान-सम्मान को सर्वोपरि मानता है और किसी भी परिस्थिति में इसे गिरने नहीं देता।
The Rajasthani phrase "Moongchya Ra Chawal Rakhna" means to uphold one’s dignity and honor. It signifies the importance of preserving one’s self-respect and pride, which are deeply valued in Rajasthani culture.
राजस्थानी समाज में मूंछें पुरुषों की आन-बान और शान का प्रतीक मानी जाती हैं। यह मुहावरा व्यक्ति को प्रेरित करता है कि वह हर परिस्थिति में अपने आत्मसम्मान और प्रतिष्ठा की रक्षा करे। चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, स्वाभिमान बनाए रखना और सही रास्ते पर डटे रहना ही सच्चे व्यक्तित्व की पहचान है। यह कहावत यह भी दर्शाती है कि समाज में एक व्यक्ति की छवि और सम्मान उसकी सबसे बड़ी पूंजी है।
In Rajasthani culture, a man’s mustache is seen as a symbol of pride and dignity. This phrase encourages individuals to protect their self-respect and maintain their reputation, no matter how challenging the circumstances. It reflects the cultural importance of honor and integrity as a measure of one’s character and social standing.
राजस्थानी समाज में मूंछें पुरुषों की आन-बान और शान का प्रतीक मानी जाती हैं। यह मुहावरा व्यक्ति को प्रेरित करता है कि वह हर परिस्थिति में अपने आत्मसम्मान और प्रतिष्ठा की रक्षा करे। चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, स्वाभिमान बनाए रखना और सही रास्ते पर डटे रहना ही सच्चे व्यक्तित्व की पहचान है। यह कहावत यह भी दर्शाती है कि समाज में एक व्यक्ति की छवि और सम्मान उसकी सबसे बड़ी पूंजी है।
In Rajasthani culture, a man’s mustache is seen as a symbol of pride and dignity. This phrase encourages individuals to protect their self-respect and maintain their reputation, no matter how challenging the circumstances. It reflects the cultural importance of honor and integrity as a measure of one’s character and social standing.
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राजस्थानी मुहावरे और उनके अर्थ / मूंछ सम्मान का प्रतीक / राजस्थानी संस्कृति और प्रतिष्ठा / स्वाभिमान बनाए रखने की कहावत
Author - Saroj Jangir
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