
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
हिंदी में अर्थ- इस मुहावरे का आशय है की स्वंय की कमजोरी, असफलता की तरफ देखना। जैसे मोर आनंदित होकर नाचता है लेकिन जैसे ही वह अपने पैरों की तरफ देखता है (मोर के पैर सुन्दर नहीं होते हैं ) निराश हो जाता है। अतः इस मुहावरे से आशय है की स्वंय की गलतियों का एहसास होना।
राजस्थानी संस्कृति और लोक जीवन में यह मुहावरा गहराई से स्वाभाविकता और आत्मनिरीक्षण को दर्शाता है। "मोर्यौ नाच कूद र पगां सांमी देखै" का तात्पर्य है कि इंसान जब आनंद और सफलता के क्षणों में होता है, तो उसे अपनी कमजोरियों और कमियों का भी एहसास होता है। मोर अपनी सुंदरता और नृत्य के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन जब वह अपने पैर देखता है, तो उसे अपनी कमी का बोध होता है। यह मुहावरा हमें सिखाता है कि जीवन में अपनी कमजोरियों को स्वीकार करना और उनसे सीखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि अपनी उपलब्धियों पर गर्व करना।
एक बार की बात है, मैना को किसी की शादी में जाने का न्योता मिला। वह बहुत खुश थी, लेकिन जैसे ही उसने अपने पैरों को देखा, उसका मन खिन्न हो गया। मैना को अपने बदसूरत पैरों के कारण शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। उसने सोचा कि शादी में कैसे जाऊं, सब मेरा मजाक उड़ाएंगे।This phrase serves as a profound reminder of the importance of acknowledging one’s flaws. It emphasizes that life is not just about celebrating victories and joys but also about accepting imperfections and learning from them. The peacock’s dance symbolizes beauty and confidence, while looking at its feet signifies introspection and humility. This balance of pride and self-awareness is a key lesson for leading a grounded life.
मैना ने सोचा कि उसे अपनी समस्या का हल ढूंढना चाहिए। वह अपने मामा, मोर, के पास गई। मोर अपनी सुंदरता और नृत्य के लिए प्रसिद्ध था। मैना ने मोर से कहा, "मामा, मुझे शादी में जाना है, लेकिन मेरे पैर इतने बदसूरत हैं कि मैं वहां नहीं जा सकती। कृपया अपनी सुंदर टाँगे मुझे दे दो, ताकि मैं शादी में गर्व से जा सकूं।"
मोर ने मैना की बात सुनी और मुस्कुराते हुए कहा, "मेरी टाँगे भले ही सुंदर दिखती हैं, लेकिन वे मजबूत नहीं हैं। और तुम्हारे पैर, जो तुम्हें बदसूरत लगते हैं, असल में तुम्हें उड़ने और दौड़ने में मदद करते हैं। हर चीज की अपनी खासियत होती है। तुम्हें अपनी खूबी पहचाननी चाहिए और अपने गुणों पर गर्व करना चाहिए।"
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Author - Saroj Jangir
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