बीरो आयो बियाव कर भदाओ बाई सुगणा

बीरो आयो बियाव कर भदाओ बाई सुगणा

बीरो आयो बियाव कर,
भदाओ बाई सुगणा ए,
लाडो ए कोडां ए, कर लो आरती।।

हिवड़ो भरीजै हाथ,
धूजै माता म्हारी ए,
लाछा ने केवे नी,
कर ले आरती।।

आरती उतारो भीरे री,
बाई सुगणा ए,
बीतोड़ी बातां ने बाई,
ए बीसरो।।

मैला कपड़ा पहर कीकर,
आई ए बाई सुगणा ए,
कोड तो भूली ए कांई ए सासरे,
नवा कपड़ा पहरियां जद,
भाणु याद आयो रे,
आंख्यां रा आंसूड़ा,
थाळी माय पडे।।

सुगणा री भेळा क्यों,
रोवे बाई सुगणा ए,
रामदे सा भीरा,
जग में जीवता।।

सासरिये सूं चाली भीरा,
सासू म्हाने भरजी ओ,
भंवरू ने ले जाओ, मती सासरे।।

रुणेचे में जहर खाय,
मरसूं भीरा म्हारा रे,
पाछी रे पूंगल न,
जाऊं रे जीवती।।

गेली गेली बाई थूं तो,
गेला बोल बोले ए,
भाणु तो सुतो रे,
सुख री नींद में।।

आओ आओ भाणुड़ा,
थाने मामोसा बुलावे रे,
महला रे उतरते रा,
बाज्या घूघरा।।

सुगणा बाई ने परचो दीनों,
हरजी जस गावे ओ,
चरणों रो चाकर,
पन्नो आपरो।।

बीरो आयो बियाव कर,
भदाओ बाई सुगणा ए,
लाडो ए कोडां ए, कर लो आरती।।


बाबा रामदेव जी सायल गायक कलाकार बाबूलाल जी संत देऊ 2021

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