वेदसार शिव स्तुति वेदसारशिवस्तोत्रम्
वेदसार शिव स्तुति वेदसारशिवस्तोत्रम् आदि शंकराचार्य
वेदसार शिव स्तुति/वेदसारशिवस्तोत्रम् आदि शंकराचार्य
वेदसार शिव स्तुति/वेदसारशिवस्तोत्रम्
पशूनां पतिं पापनाशं परेशं,
गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम्,
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं,
महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम्।
महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं,
विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्,
विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं,
सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।
गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं,
गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्,
भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं,
भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।
शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले,
महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्,
त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूपः,
प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।
परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं,
निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्,
यतो जायते पाल्यते येन विश्वं,
तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।
न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायु,
र्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा,
न चोष्णं न शीतं न देशो न वेषो,
न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीडे।
अजं शाश्वतं कारणं कारणानां,
शिवं केवलं भासकं भासकानाम्,
तुरीयं तमःपारमाद्यन्तहीनं,
प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम्।
नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते,
नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते,
नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य,
नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्य।
वेदसार शिव स्तुति/वेदसारशिवस्तोत्रम्
पशूनां पतिं पापनाशं परेशं,
गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम्,
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं,
महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम्।
महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं,
विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्,
विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं,
सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।
गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं,
गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्,
भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं,
भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।
शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले,
महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्,
त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूपः,
प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।
परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं,
निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्,
यतो जायते पाल्यते येन विश्वं,
तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।
न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायु,
र्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा,
न चोष्णं न शीतं न देशो न वेषो,
न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीडे।
अजं शाश्वतं कारणं कारणानां,
शिवं केवलं भासकं भासकानाम्,
तुरीयं तमःपारमाद्यन्तहीनं,
प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम्।
नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते,
नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते,
नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य,
नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्य।
Vedsar Shiv Stuti (वेदसार शिव स्तुति ) | Adi Shankaracharya | Pashunam Patim Papa Nasham Paresham
ऐसे ही अन्य भजनों के लिए आप होम पेज / गायक कलाकार के अनुसार भजनों को ढूंढें.
पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।
ऐसे ही अन्य भजनों के लिए आप होम पेज / गायक कलाकार के अनुसार भजनों को ढूंढें.
पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।
वेदसार शिव स्तुति में भगवान शिव की महिमा का गुणगान है। इसमें शिवजी के अनंत स्वरूप, ज्ञान, और करुणा का वर्णन किया गया है। वे कालों के भी काल हैं और उनकी जटाओं से प्रवाहित गंगा संसार को पवित्र करती है। उनके त्रिनेत्र से प्रकाश और ज्ञान फैलता है। भोलेनाथ दुष्टों का नाश करते हैं और भक्तों को सुख-शांति प्रदान करते हैं। उनका डमरू सृष्टि की लय का प्रतीक है और त्रिशूल अज्ञान और बुराइयों को नष्ट करता है। नीलकंठ शिवजी ने संसार के विष को अपने कंठ में धारण किया। वे योग और ध्यान के जनक हैं और उनका हर रूप जीवन का सत्य और मार्ग दिखाता है। यह स्तुति शिवजी से कृपा और मोक्ष की प्रार्थना करती है।
Related Post
|
Author - Saroj Jangir
इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें। |
