वेदसार शिव स्तुति में भगवान शिव की महिमा का गुणगान है। इसमें शिवजी के अनंत स्वरूप, ज्ञान, और करुणा का वर्णन किया गया है। वे कालों के भी काल हैं और उनकी जटाओं से प्रवाहित गंगा संसार को पवित्र करती है। उनके त्रिनेत्र से प्रकाश और ज्ञान फैलता है। भोलेनाथ दुष्टों का नाश करते हैं और भक्तों को सुख-शांति प्रदान करते हैं। उनका डमरू सृष्टि की लय का प्रतीक है और त्रिशूल अज्ञान और बुराइयों को नष्ट करता है। नीलकंठ शिवजी ने संसार के विष को अपने कंठ में धारण किया। वे योग और ध्यान के जनक हैं और उनका हर रूप जीवन का सत्य और मार्ग दिखाता है। यह स्तुति शिवजी से कृपा और मोक्ष की प्रार्थना करती है।
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