पीली पीली भोर सुनहरी, पीले पीले श्याम है, पीली पीली रेत सुवर्णी, ऐसो खाटू धाम है।
पिला रे पिला कांई करो सहेलियों ओ, पीला पीला बाबा जी का भेष सहेलियों रे, ओ तो राजा भीम सिंह रो लाल।
काली काली यमुना मैया, काली मांझल रात है, काला काला बादल गरजे, रिमझिम सी बरसात है।
काला रे काला कांई करो सहेलियों रे, काला काला बाबा जी रा केश सहेलियो रे, ओ तो राजा भीम सिंह रो लाल।
तिखा रे तिखा कांई करो सहेलियों रे, तिखा तिखा बाबा जी रा नैण सहेलियो रे, ओ तो राजा भीम सिंह रो लाल।
मीठी मीठी रुनझुन रुनझुन पायल की झंकार है, मीठी मीठी तान सुरीली बंसी पर बलिहार है।
मीठा रे मीठा कांई करो सहेलियों रे, मीठा मीठा बाबा जी रा बैण सहेलियो रे, ओ तो राजा भीम सिंह रो लाल।
पिला रे पिला कांई करो सहेलियों ओ, पीला पीला बाबा जी का भेष सहेलियों रे, ओ तो राजा भीम सिंह रो लाल।
खाटू धाम की भोर यानी कि सुबह सोने जैसी चमकती है। चारों ओर पीला रंग बिखरा हुआ रहता है। बाबा श्याम का भेष भी पीले रंग में ऐसा दमकता है कि हमारा मन भक्ति से भर जाता है। काली यमुना की लहरें और बादलों की गरज जैसे बाबा श्याम के गहरे केश हैं। उनकी तीखी नजरें हमारे हृदय को छू जाती हैं और प्रेम और करुणा से भर देती हैं। जब बंसी की मधुर तान और पायल की रुनझुन गूंजती है तो पूरा खाटू धाम भक्ति में लीन हो जाता है। श्याम बाबा की महिमा हर रंग और हर सुर में बसती है। जय श्री श्याम।
राजा भीमसेन रो लाल | Pila Re Pila | Sanju Sharma | Khatu Shyam Bhajan | पीला रे पीला काई करो सहेल्यो
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