आत्मा राम आनंद रमण भजन
आत्मा राम आनंद रमण
आत्मा राम आनंद रमण,
अच्युत केशव हरि नारायण,
हरि नारायण।
आत्मा अमर है और नश्वर है ये शरीर,
देह त्याग चुके यहां करना अर्जुन जैसे वीर,
क्रोध लोभ मोह सारे मन के हैं विचार,
अहंकार ही मनुष्य को बना देता है क्षीण।
ना धन से ना छल से ना बल से ना ज्ञान से,
ईश्वर को पाया नहीं जा सकता अभिमान से,
आत्मा परमात्मा का अंश है महीन सा,
होना है परिचित तो वो होगा केवल ध्यान से।
आत्मा में राम राम में आत्मा,
रख आस्था में राम और राम में आस्था क्या,
दिशा चार हैं कदम बढ़ा कहीं भी रख,
साफ ये मन तू खुद ही मिलेगा रास्ता क्या,
आत्मा में राम राम में आत्मा,
रख आस्था में राम और राम में आस्था क्या,
फल की छोड़ और तू कर्म करते चल,
देख आज जो कमाया तेरे कल वो पास था क्या।
आत्मा राम आनंद रमण,
अच्युत केशव हरी नारायण,
हरी नारायण।
खुद से खुद ही खुद को कर तू ईश्वर के करीब,
बेशक धन से हो गरीब ना बन भक्ति से गरीब,
सब पाप के भोगी लगें सब लाभ के रोगी,
तू रखले आत्मा में राम और जा राम के समीप।
मन चंचल है भटकायेगा पर मैं भटकूंगा नहीं,
ये दुनिया माया जाल है इसमें अटकूंगा नहीं,
किंचित मेरे प्रयास सब खटकें दुनिया की आंखों में,
पर ईश्वर की आंखों में कदापि खटकूंगा नहीं।
मैं नर मेरे नारायण मेरे शिव मेरे हैं राम,
नतमस्तक होकर करता मेरे ईश्वर को प्रणाम,
मांगूं भला क्या आपसे मन की जाने हैं आप,
मैं बोलूं उससे पहले ही सब बन जाते हैं काम।
ये आचरण है सही प्रभु भक्ति में ही लीन,
सम्पूर्ण सृष्टि ईश्वर के आगे सूक्ष्म महीन,
हैं पालनकर्ता विष्णु जी उत्पत्ति कारक ब्रह्मा,
और संहारक हैं सदाशिव जो कि नेत्र रखते तीन।
सो आत्मा में राम राम में आत्मा,
रख आस्था में राम और राम में आस्था क्या,
दिशा चार हैं कदम बढ़ा कहीं भी रख,
साफ ये मन तू खुद ही मिलेगा रास्ता क्या,
आत्मा में राम राम में आत्मा,
रख आस्था में राम और राम में आस्था क्या,
फल की छोड़ और तू कर्म करते चल,
देख आज जो कमाया तेरे कल वो पास था क्या।
आत्मा राम आनंद रमण,
अच्युत केशव हरि नारायण,
हरि नारायण।
अच्युत केशव हरि नारायण,
हरि नारायण।
आत्मा अमर है और नश्वर है ये शरीर,
देह त्याग चुके यहां करना अर्जुन जैसे वीर,
क्रोध लोभ मोह सारे मन के हैं विचार,
अहंकार ही मनुष्य को बना देता है क्षीण।
ना धन से ना छल से ना बल से ना ज्ञान से,
ईश्वर को पाया नहीं जा सकता अभिमान से,
आत्मा परमात्मा का अंश है महीन सा,
होना है परिचित तो वो होगा केवल ध्यान से।
आत्मा में राम राम में आत्मा,
रख आस्था में राम और राम में आस्था क्या,
दिशा चार हैं कदम बढ़ा कहीं भी रख,
साफ ये मन तू खुद ही मिलेगा रास्ता क्या,
आत्मा में राम राम में आत्मा,
रख आस्था में राम और राम में आस्था क्या,
फल की छोड़ और तू कर्म करते चल,
देख आज जो कमाया तेरे कल वो पास था क्या।
आत्मा राम आनंद रमण,
अच्युत केशव हरी नारायण,
हरी नारायण।
खुद से खुद ही खुद को कर तू ईश्वर के करीब,
बेशक धन से हो गरीब ना बन भक्ति से गरीब,
सब पाप के भोगी लगें सब लाभ के रोगी,
तू रखले आत्मा में राम और जा राम के समीप।
मन चंचल है भटकायेगा पर मैं भटकूंगा नहीं,
ये दुनिया माया जाल है इसमें अटकूंगा नहीं,
किंचित मेरे प्रयास सब खटकें दुनिया की आंखों में,
पर ईश्वर की आंखों में कदापि खटकूंगा नहीं।
मैं नर मेरे नारायण मेरे शिव मेरे हैं राम,
नतमस्तक होकर करता मेरे ईश्वर को प्रणाम,
मांगूं भला क्या आपसे मन की जाने हैं आप,
मैं बोलूं उससे पहले ही सब बन जाते हैं काम।
ये आचरण है सही प्रभु भक्ति में ही लीन,
सम्पूर्ण सृष्टि ईश्वर के आगे सूक्ष्म महीन,
हैं पालनकर्ता विष्णु जी उत्पत्ति कारक ब्रह्मा,
और संहारक हैं सदाशिव जो कि नेत्र रखते तीन।
सो आत्मा में राम राम में आत्मा,
रख आस्था में राम और राम में आस्था क्या,
दिशा चार हैं कदम बढ़ा कहीं भी रख,
साफ ये मन तू खुद ही मिलेगा रास्ता क्या,
आत्मा में राम राम में आत्मा,
रख आस्था में राम और राम में आस्था क्या,
फल की छोड़ और तू कर्म करते चल,
देख आज जो कमाया तेरे कल वो पास था क्या।
आत्मा राम आनंद रमण,
अच्युत केशव हरि नारायण,
हरि नारायण।
आत्मा अमर होती है, लेकिन शरीर नश्वर है। हमें अहंकार छोड़कर ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए। क्रोध, लोभ और मोह से मन को शांत रखना जरूरी है। सच्ची आस्था और ध्यान से ही परमात्मा को पाना संभव है। इसलिए अच्छे कर्म करते हुए भगवान के मार्ग पर चलना चाहिए। हमें अच्छे कर्म करने चाहिए और भगवान में आस्था रखनी चाहिए यही जीवन का आधार है।
Aatma Mein Ram- Shlovij | Prod. X Zeus | devotional rap 2025 (Aatma raama ananda ramana)
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Chorus vocals:- Raghu
Chorus lyrics:- Traditional
Chorus composition:- Traditional
Chorus lyrics:- Traditional
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Author - Saroj Jangir
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