तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना

तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना


तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना,
इसे मैं उठाने के काबिल नहीं हूं,
आ तो गया हूं मगर जानता हूं,
तेरे दर पे आने के काबिल नहीं हूं।

यह माना कि दाता हो तुम कुल जहां के,
झोली फैलाऊं कैसे तेरे दर पे आके,
जो पहले दिया है वही कम नहीं है,
मैं ज्यादा उठाने के काबिल नहीं हूं।

जमाने की चाहत में खुद को भुलाया,
ऋषियों ने संतजनों ने कितना समझाया,
गुनाहगार हूं मैं सजावार इतना,
तुझे मुंह दिखाने के काबिल नहीं हूं।

तमन्ना यही है कि सिर को झुका दूं,
तेरा दीदार एक बार जी भर के पा लूं,
सिवा दिल के टुकड़े के ऐ मेरे दाता,
मैं कुछ भी चढ़ाने के काबिल नहीं हूं।

तुम्हीं ने अदा की मुझे जिंदगानी,
महिमा तेरी मैंने फिर भी ना जानी,
कर्जदार हूं तेरी दया का मैं इतना,
जिसे मैं चुकाने के काबिल नहीं हूं।

भगवान की कृपा अपरम्पार है। हम तो उसकी कृपा के योग्य भी नहीं है फिर भी भगवान हम पर हर पल अपनी कृपा बरसाता है। हमारी गलतियों के बावजूद भगवान हमेशा प्रेम और दया दृष्टि रखते हैं। उसकी मेहरबानी से ही हमें सुख, शांति और जीवन मिला है।


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