जटाजूट नरसी अभिलिप्सा पांडा रेप सोंग
पशूनाम पतिं पापनाशं परेशं,
गजेन्द्रस्य कृत्वं वसनं वरेण्यम,
जटाजूटमध्ये स्फुरद्गंगवारिं,
महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।
प्रेमानंद महाराज
हमें कोई परम पद नहीं चाहिए,
हमारे अंदर कोई ऐसी आकांक्षा नहीं,
कि हम शिव को छोड़कर,
कोई और परम पद पाएं।
अभिलिप्सा पांडा
शिवकांत शंभो शशांकर्धमौले,
महेशान शूलिन जटाजूटधारिन,
त्वमेको जगद्व्यापकः विश्वरूपः,
प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।
नरसी
शिव शीश धारणी के जैसा खड़ा प्राणी,
स्तुति हेतु तेरी रोज़ गूंजे मेरी वाणी,
गाते हुए स्तुति बहता आँखों से जो पानी,
साफ़ ही बताता साँसें भोले की दीवानी।
न बस मेरे क्रोध, लोभ, न ही काम वासना,
स्वयं ही मैं भक्त हूँ क्या औरों को दूं रास्ता,
पैर मेरे पापी प्रभु रुके तेरे द्वार पे,
क्षमा करो पाप और बचा लो मेरी आस्था।
बोलो नयनार जैसे कैसे दे दूं नैन,
कैसे काटूं सर होगी पीड़ा न सहन,
कायर है ये दास बातें बड़ी करना जाने,
कैसे बन सती करूं काया भी दहन।
मांगता हूं मृत्यु न क्षमा प्रभु खुद को,
तारो मेरे प्राण ताकि आत्मा ये शुद्ध हो,
आँखें करी बंद मैंने ये लो महादेव,
उठा के त्रिशूल काटो पापी मेरे मुण्ड को।
अभिलिप्सा पांडा
शंभो महेश करुणामय शूलपाणे,
गौरिपते पशुपते पशुपासनाशिन्,
काशीपते करुणया जगदेतदेकस्,
त्वं हंसि पाशि विधधासि महेश्वरासि।
प्रेमानंद महाराज
वो शिव हैं, समझ रहे हैं न।
अभिलिप्सा पांडा
न भूमिर् न चापो न वह्निर् न वायुर्,
न चाकाश आस्ते न तंद्रा न निद्रा,
न ग्रीष्मो न शीतो न देशो न वेशो,
न यस्यस्तु मूर्तिस्त्रिमूर्ति तमिदे।
नारसी
देके मेरी साँसें हैं बैकुंठ में ही जागना,
जानते हो भोले, काली काल आया रास न,
काया लेके आया माना काले इस काल में,
त्रेता वाले काल में पर छोड़ आया आत्मा।
कर दो आज़ाद, प्रभु प्राण मेरे मांग लो,
चोर जान लेके हरि हर नाम को,
सुनो जटाजूट बस दास की ये याचिका,
हाथ मेरा थाम लेके चलो हरि धाम को।
बेचैनी ये दास कभी आके देख नाथ,
रात भर जाग के ना यूं ही लिखे लेख नाथ,
मोक्ष के समान होगा क्षण वो तो प्रभु,
आपको और हरि को जो देख लूंगा एक साथ।
आप में समाना प्रभु सारों को है अंत में,
आप ही मिटाना प्रभु ब्रह्म वाली धुंध ये,
मृत्यु को पाकर भी मैं रुकूंगा न प्रभु,
आ रहा भोले लेके कटा हुआ मुण्ड मैं।
शिव की महिमा अपरम्पार है। शिव सर्वशक्तिमान, करुणामय और समस्त संसार के पालनहार है। हम दोषों और पापों को स्वीकार कर शिव से क्षमा और मोक्ष की विनती करतें हैं। हम शिव से अपने अहंकार, क्रोध और वासनाओं को नष्ट करने की विनती करतें हैं। हम चाहतें हैं कि हमारी आत्मा शुद्ध होकर प्रभु में लीन हो जाए। जय शिव शंकर।
Jatajoot (जटाजूट) | Narci | Abhilipsa Panda | Hindi Rap (Prod. By Narci)
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Singer: Abhilipsa Panda
Voice: Premanand Maharaj
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Author - Saroj Jangir
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