मेरे दिन बंधु भगवान रे गरुड़ पर चढ़कर
मेरे दिन बंधु भगवान रे, गरुड़ पर चढ़कर आ जाना। मेरे दिन बंधु भगवान रे, गरुड़ पर चढ़कर आ जाना। मेरी सांस चले ना पांव, ना जिह्वा चले, ना गाना। मेरा जीव चले, भगवान तो तुम, शिव जी बनकर आ जाना। मेरे दिन बंधु भगवान रे, गरुड़ पर चढ़कर आ जाना। गुज़रूं जब मैं गुलज़ारी, ये दुनिया रहे ना सारी। गुज़रूं जब मैं, गुरुदेव तो तुम, सतगुरु बनकर आ जाना। मेरे दिन बंधु भगवान रे, गरुड़ पर चढ़कर आ जाना। चलने की हो तैयारी, तब घोड़ा मिले ना गाड़ी। मेरी शय्या छूटे, घनश्याम तो तुम, नैया लेकर आ जाना। मेरे दिन बंधु भगवान रे, गरुड़ पर चढ़कर आ जाना। यमदूत बनाए बंदी, और काया होगी गंदी। जब जाऊं मैं श्मशान, तो तुम, नंदी लेकर आ जाना। मेरे दिन बंधु भगवान रे, गरुड़ पर चढ़कर आ जाना। जब आए मरण का मौका, कहीं हो ना जाए धोखा। मेरे ज्ञान के दाता, गुरुदेव रे तुम, कोई नौका लेकर आ जाना। मेरे दिन बंधु भगवान रे, गरुड़ पर चढ़कर आ जाना।
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Author - Saroj Jangir
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