शून्य कहूं अनंत कहूं या प्रेम की भाषा

शून्य कहूं अनंत कहूं या प्रेम की भाषा कह दूं


शिव तू धड़के भीतर धड़कन में,
तेरी गूंज है मेरी सांसों में,
कोई रूप तुझे दूं तो क्या रूप दूं,
शून्य कहूं अनंत कहूं,
या प्रेम की भाषा कह दूं।

चंद्र समेटे जटा में कोई,
गंगा सी बहती धार रे,
सृष्टि रचे सृष्टि मिटाए,
फिर भी रहे निराकार रे।

शिव तू धड़के भीतर धड़कन में,
तेरी गूंज है मेरी सांसों में,
कोई रूप तुझे दूं तो क्या रूप दूं,
शून्य कहूं अनंत कहू,
या प्रेम की भाषा कह दूं।

जिसे प्रेम कहूं वही शिव है,
जो विरह कहूं, वही धाम रे,
बंधन मुक्त फिर भी बंधन में,
रखता जग का सम्मान रे।

शिव तू धड़के भीतर धड़कन में,
तेरी गूंज है मेरी सांसों में,
कोई रूप तुझे दूं तो क्या रूप दूं,
शून्य कहूं अनंत कहू,
या प्रेम की भाषा कह दूं।

जब भीतर देखा तू ही था,
हर सांस तेरी ही शरण रे,
मैं भी तू, तू भी मैं,
फिर कैसी ये दूरी रे।

कोई रूप तुझे दूं,
तो क्या रूप दूं,
शून्य कहूं अनंत कहूं,
या प्रेम की भाषा कह दूं।

शिव जी अनंत और दिव्य हैं। शिव प्रत्येक प्राणी की धड़कन और सांसों में बसे हुए हैं। वे रूप से परे हैं। वे शून्य, अनंत और प्रेम का स्वरूप हैं। वे सृष्टि के रचयिता और संहारक हैं। वे निराकार और शाश्वत हैं। प्रेम, विरह, बंधन और मुक्ति सब शिव में ही समाहित हैं। आत्मा और शिव का कोई भेद नहीं है वे एक ही हैं। हर हर महादेव।


शिव तू धड़के भीतर धड़कन में | महादेव भजन | Shiv Bhajan 2025 | Mahakal Bhajan | Bhajan Marg Songs

ऐसे ही अन्य भजनों के लिए आप होम पेज / गायक कलाकार के अनुसार भजनों को ढूंढें.
 

पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।

You may also like
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें

Next Post Previous Post