प्रभु की कृपा अनंत है, जो वैकुंठ से निरंतर प्रवाहित होती है। यह कृपा हर उस हृदय तक पहुँचती है, जो श्रद्धा और विश्वास के साथ उनके द्वार पर आता है। जैसे बारिश धरती की हर सूखी दरार को भर देती है, वैसे ही प्रभु की कृपा जीवन की हर त्रुटि को सुधारती है। जो भी उनके शरण में आता है, उसका बिगड़ा हुआ भाग्य पल में संवर जाता है। यह कृपा पक्षपात नहीं करती; वह सभी को समान रूप से आलिंगन करती है।
जैसे गजेंद्र ने संकट में नारायण को पुकारा और प्रभु ने उसे तत्क्षण मुक्ति दी, वैसे ही सच्चे मन से पुकारने वाला कभी निराश नहीं होता। प्रभु भक्तों की हर पुकार सुनते हैं और उनकी रक्षा का संकल्प कभी नहीं टूटता। यह विश्वास ही जीवन को संबल देता है कि कोई है, जो हर कदम पर साथ है।
प्रभु का स्वरूप अनुपम है, जो भक्तों के लिए प्रिय और सुलभ है। उनकी महिमा ऐसी है कि वह न केवल जीवन को दिशा देती है, बल्कि हृदय को प्रेरणा से भर देती है। जैसे यह भजन लिखने वाला स्वयं को प्रभु की इच्छा का साधन मानता है, वैसे ही प्रत्येक कार्य प्रभु की कृपा से ही संभव होता है। यह कृपा ही जीवन को अर्थ देती है, जो हर पल प्रभु के प्रेम की साक्षी है।
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