पीपासर री नगरी माई बाँधियो रे हिंडोलों
पीपासर री नगरी माई बाँधियो रे हिंडोलों
पीपासर री नगरी माई,
बांधियो रे हिंडोलो,
घालियो रे हिंडोलो,
माता हंसा हिंडोले,
हिंडावे ओ राज।।
थे ओ म्हारा जम्भ गुरुजी,
पीपासर में आया,
पीपासर में आया,
मां हंसा रे मन में,
भाया ओ राज।
पीपासर री नगरी माई,
बांधियो रे हिंडोलो।।
थे ओ म्हारा जम्भ गुरुजी,
समराथल पर आया,
समराथल पर आया,
भगत बछल मन,
भाया ओ राज।
पीपासर री नगरी माई,
बांधियो रे हिंडोलो।।
धोरा री धरती में म्हारा,
सतगुरु जी आया,
हाथ कमंडल, गळ माला,
म्हारा जम्भ गुरुजी,
आप पधारया,
धोरा री धरती में म्हारा,
सतगुरु जी आया।।
चवदस वाली रात गुरुजी,
जागण लगावा,
जुमला जगावा, हरजस करो,
ओ थोरे नाम रा ओ राज।
पीपासर री नगरी माई,
बांधियो रे हिंडोलो।।
मैं सेवक थारो गुरुजी,
आयो थोरे द्वार गुरुजी,
मेरी नैया पड़ी मझधार,
बार-बार प्रणाम।।
माता हंसा रा जाया थे तो,
लोहट जी रा लाला,
भगत बछल मन भाया मेरे श्याम,
जय बोलो जम्भ देव की।।
दिल्ली शहर में आप पधारे,
भगत बीच में जान मेरे श्याम,
जय बोलो जम्भ देव की।।
असम कस्म का बंधन छुडाया,
गऊ की बचाई जान मेरे श्याम,
जय बोलो जम्भ देव की।।
एक आसरो थोरो ओ जाम्भोजी,
इण कलजुग रे माय मेरे श्याम,
जय बोलो जम्भ देव की।।
गोरधन थारे चरणों रो चाकर,
जन्म-जन्म रे माय मेरे श्याम,
जय बोलो जम्भ देव की।।
बांधियो रे हिंडोलो,
घालियो रे हिंडोलो,
माता हंसा हिंडोले,
हिंडावे ओ राज।।
थे ओ म्हारा जम्भ गुरुजी,
पीपासर में आया,
पीपासर में आया,
मां हंसा रे मन में,
भाया ओ राज।
पीपासर री नगरी माई,
बांधियो रे हिंडोलो।।
थे ओ म्हारा जम्भ गुरुजी,
समराथल पर आया,
समराथल पर आया,
भगत बछल मन,
भाया ओ राज।
पीपासर री नगरी माई,
बांधियो रे हिंडोलो।।
धोरा री धरती में म्हारा,
सतगुरु जी आया,
हाथ कमंडल, गळ माला,
म्हारा जम्भ गुरुजी,
आप पधारया,
धोरा री धरती में म्हारा,
सतगुरु जी आया।।
चवदस वाली रात गुरुजी,
जागण लगावा,
जुमला जगावा, हरजस करो,
ओ थोरे नाम रा ओ राज।
पीपासर री नगरी माई,
बांधियो रे हिंडोलो।।
मैं सेवक थारो गुरुजी,
आयो थोरे द्वार गुरुजी,
मेरी नैया पड़ी मझधार,
बार-बार प्रणाम।।
माता हंसा रा जाया थे तो,
लोहट जी रा लाला,
भगत बछल मन भाया मेरे श्याम,
जय बोलो जम्भ देव की।।
दिल्ली शहर में आप पधारे,
भगत बीच में जान मेरे श्याम,
जय बोलो जम्भ देव की।।
असम कस्म का बंधन छुडाया,
गऊ की बचाई जान मेरे श्याम,
जय बोलो जम्भ देव की।।
एक आसरो थोरो ओ जाम्भोजी,
इण कलजुग रे माय मेरे श्याम,
जय बोलो जम्भ देव की।।
गोरधन थारे चरणों रो चाकर,
जन्म-जन्म रे माय मेरे श्याम,
जय बोलो जम्भ देव की।।
बिश्नोई समाज का भजन || पीपासर नगरी में मान्डियो रे हिन्डोलो || गोवर्धन बिश्नोई नान्दिया प्रभावती
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Author - Saroj Jangir
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