वृन्दावन धाम बुलाये रे भजन

वृन्दावन धाम बुलाये रे भजन

वृन्दावन धाम बुलाये रे,
मैं दौड़ी-दौड़ी जाऊं।

वृन्दावन में बांके बिहारी,
ओढ़ के बैठे कांवरिया कारी,
बांके के दर्शन पाऊं रे,
मैं दौड़ी-दौड़ी जाऊं।
वृन्दावन धाम बुलाये रे...

वृन्दावन में यमुना किनारा,
यमुना किनारा शीतल है धारा,
श्याम के दर्शन पाऊं रे,
मैं दौड़ी-दौड़ी जाऊं।
वृन्दावन धाम बुलाये रे...

वृन्दावन की कुंज गलिन में,
कुंज गलिन, कुंज गलिन में,
पागलपन को पाऊं रे,
मैं दौड़ी-दौड़ी जाऊं।
वृन्दावन धाम बुलाये रे...

वृन्दावन हरिदास स्वामी जू,
हरिदास स्वामी जू, हरिदास स्वामी जू,
धसका अब बस जाऊं रे,
मैं दौड़ी-दौड़ी जाऊं।
वृन्दावन धाम बुलाये रे...


मुझे वृंदावन बुलाया~Mujhe vrindavan bulaya Bhajan~Shri Radhe Shyam Bhajan~कृष्णा भजन~krishna bhajans

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Mujhe Vrindavan Basaya
 
वृंदावन का धाम प्रेम और भक्ति का वह पावन तीर्थ है, जो मन को बार-बार अपनी ओर खींचता है। बांके बिहारी की कांवरिया कारी ओढ़े छवि और यमुना के शीतल किनारे की पुकार हृदय को बेकरार कर देती है। वहाँ की कुंज गलियों में श्याम के प्रेम का पागलपन ऐसा है, जो आत्मा को मस्ती में डुबो देता है। हरिदास स्वामी की भक्ति की धुन मन को उनके दर्शन की आस में दौड़ा देती है। यह वृंदावन की वह जादुई पुकार है, जो भक्त को दौड़ते-दौड़ते उनके चरणों में ले जाती है, जहाँ हर धसका मिट जाता है, और मन केवल श्याम के रंग में रंगकर आनंदित होता है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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