कबीर साहेब के दोहे सरल हिंदी अर्थ सहित
कबीर साहेब के दोहे सरल हिंदी अर्थ सहित साधु भया तो क्या भया, माला पहिरी चार । बाहर भेष बनाइया, भीतर भरी भंगार ॥ तन को जोगी सब करै, मन को कर...
कबीर साहेब के दोहे सरल हिंदी अर्थ सहित साधु भया तो क्या भया, माला पहिरी चार । बाहर भेष बनाइया, भीतर भरी भंगार ॥ तन को जोगी सब करै, मन को कर...
सरल हिंदी अर्थों में जानिये रहीम के दोहे जब लगि जीवन जगत में, सुख दुख मिलन अगोट । रहिमन फूटे गोट ज्यों, परत दुहुँन सिर चोट ॥ जब लगि बि...
रहीम के दोहे सरल हिंदी अर्थ में यहाँ जानिये कमला थिर न रहीम कहि, यह जानत सब कोय। पुरुष पुरातन की बधू, क्यों न चंचला होय ॥ कमला थिर न ...
रहीम के दोहे अर्थ सहित जानिये तैं रहीम मन आपुनो, कीन्हों चारु चकोर। निसि बासर लागो रहै, कृष्णचंद्र की ओर ॥ रहीम कहते हैं कि उन्होंने अपने...
मदनाष्टक संत रहीम हिंदी Madnashtak Sant Raheem रहीम की मधुराष्टक एक प्रसिद्ध भक्ति कविता है। यह भगवान कृष्ण की रासलीला का वर्णन करती है। यह ...
रहीम की कविताएं अति अनियारे मानों सान दै सुधारे, महा विष के विषारे ये करत पर-घात हैं । ऐसे अपराधी देख अगम अगाधी यहै, साधना जो साधी हरि...
रहीम के दोहे हिंदी में अच्युत-चरण-तरंगिणी, शिव-सिर-मालति-माल। हरि न बनायो सुरसरी, कीजो इंदव-भाल॥ हिंदी अर्थ / भावार्थ : इस दोहे में कवि ...