बाला मैं बैरागन हूंगी भजन
बाला मैं बैरागन हूंगी भजन Bala Me Bairagan Hungi
बाला मैं बैरागण हूंगी।जिन भेषां म्हारो साहिब रीझे सोही भेष धरूंगी।
सील संतोष धरूं घट भीतर समता पकड़ रहूंगी।
जाको नाम निरंजन कहिये ताको ध्यान धरूंगी।
गुरुके ग्यान रंगू तन कपड़ा मन मुद्रा पैरूंगी।
प्रेम पीतसूं हरिगुण गाऊं चरणन लिपट रहूंगी।
या तन की मैं करूं कीगरी रसना नाम कहूंगी।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर साधां संग रहूंगी।
Meerabai Bhajan Bala main bairagan hoongi with Voice by Vani Jairam
मीरा बाई का मानना है कि ये तीन गुण एक संत के जीवन के लिए आवश्यक हैं। शील से व्यक्ति का आचरण शुद्ध होता है। संतोष से व्यक्ति को सुख और शांति मिलती है। समता से व्यक्ति को दूसरों के प्रति प्रेम और करुणा की भावना उत्पन्न होती है।