बाला मैं बैरागण हूंगी।
जिन भेषां म्हारो साहिब रीझे सोही भेष धरूंगी।
सील संतोष धरूं घट भीतर समता पकड़ रहूंगी।
जाको नाम निरंजन कहिये ताको ध्यान धरूंगी।
गुरुके ग्यान रंगू तन कपड़ा मन मुद्रा पैरूंगी।
प्रेम पीतसूं हरिगुण गाऊं चरणन लिपट रहूंगी।
या तन की मैं करूं कीगरी रसना नाम कहूंगी।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर साधां संग रहूंगी।
जिन भेषां म्हारो साहिब रीझे सोही भेष धरूंगी।
सील संतोष धरूं घट भीतर समता पकड़ रहूंगी।
जाको नाम निरंजन कहिये ताको ध्यान धरूंगी।
गुरुके ग्यान रंगू तन कपड़ा मन मुद्रा पैरूंगी।
प्रेम पीतसूं हरिगुण गाऊं चरणन लिपट रहूंगी।
या तन की मैं करूं कीगरी रसना नाम कहूंगी।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर साधां संग रहूंगी।
Meerabai Bhajan Bala main bairagan hoongi with Voice by Vani Jairam
मीरा बाई का मानना है कि ये तीन गुण एक संत के जीवन के लिए आवश्यक हैं। शील से व्यक्ति का आचरण शुद्ध होता है। संतोष से व्यक्ति को सुख और शांति मिलती है। समता से व्यक्ति को दूसरों के प्रति प्रेम और करुणा की भावना उत्पन्न होती है।
- दर तेरे आने की दर्शन तेरा पाने की Dar Tere Aane Ki
- चोरी कर तो डोले श्याम Chori Karto Dole Shyam Mote Sidho Na Bole
- प्रेम रस जिसने पिया श्री राधे के नाम का Prem Ras Jisane Piya
- हाथ जोड़ कर मांगता हूँ ऐसा हो जनम Hath Jod Kar Mangata Hu
- तुम रूठे रहो मोहन हम तुम्हे मना लेंगे Tum Ruthe Raho Mohan
- हम प्रेम दीवानी है वो प्रेम दीवाना है Hum Prem Diwani Hain