आओ नज़र उतारें बाबा की भजन
आओ नज़र उतारें बाबा की भजन
आओ नज़र उतारें बाबा की,
कहीं इनको नज़र न लग जाए..
कोई काजल की डिबिया ले आओ,
मेरे बाबा को टीका लगाओ,
मेरे प्यारे-प्यारे बाबा को,
भक्तों की नज़र न लग जाए...
मेरे बाबा का मुखड़ा भोला,
फूलों में जैसे चंदा डोला,
इस सोने-से मुखड़े को,
चाँद की नज़र न लग जाए...
मेरे बाबा की लीला न्यारी,
तेरी सुंदर छवि भी प्यारी,
इस जग के पालनहारे को,
कहीं खुद की नज़र न लग जाए...
कहीं इनको नज़र न लग जाए..
कोई काजल की डिबिया ले आओ,
मेरे बाबा को टीका लगाओ,
मेरे प्यारे-प्यारे बाबा को,
भक्तों की नज़र न लग जाए...
मेरे बाबा का मुखड़ा भोला,
फूलों में जैसे चंदा डोला,
इस सोने-से मुखड़े को,
चाँद की नज़र न लग जाए...
मेरे बाबा की लीला न्यारी,
तेरी सुंदर छवि भी प्यारी,
इस जग के पालनहारे को,
कहीं खुद की नज़र न लग जाए...
New Bala Ji Bhajan || Balaji Tere Darbar Me || Bhakti Bhajan || Mona Mehta #Skylark Infotainment
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Album :- Shukrana
Song :- Balaji Tere Darbar Me
Singer :- Mona Mehta
Lyrics :- Sonu Ji
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Song :- Balaji Tere Darbar Me
Singer :- Mona Mehta
Lyrics :- Sonu Ji
सुन्दर भजन में बाबा के प्रति अपार श्रद्धा और भावनात्मक प्रेम प्रकट होता है। यह भावना केवल बाहरी सम्मान तक सीमित नहीं रहती, बल्कि गहरे आत्मीय भाव से जुड़ी होती है—जहाँ भक्त अपने आराध्य की रक्षा की कामना करता है, उनकी दिव्यता को हर विघ्न से सुरक्षित रखना चाहता है।
भक्त का हृदय इस चिंता से भरा है कि कहीं बाबा की अनुकंपा और उनकी छवि को कोई बाधा न पहुंचे। यही कारण है कि वह उन्हें काजल का टीका लगाने, फूलों से अलंकृत करने, और उनकी लीला को विशेष श्रद्धा से देखने की इच्छा प्रकट करता है। यह केवल बाहरी रक्षण नहीं, बल्कि आंतरिक भक्ति की पराकाष्ठा है, जहाँ भक्त का मन पूरी तरह से बाबा की प्रेममयी छवि में रम जाता है।
बाबा की लीला अप्रतिम है—उनका सौम्य मुख, कोमल स्नेह, और जगत के प्रति उनकी करुणा सभी को मोहते हैं। भजन में यह भावना गहराई से प्रकट होती है कि जब कोई भक्त सच्चे प्रेम से उनकी ओर निहारता है, तो वह केवल उनकी छवि ही नहीं देखता, बल्कि उनकी दिव्यता का अनुभव करता है। यही वह अनुभूति है, जो भक्ति को परिपूर्ण करती है।
भक्त का हृदय इस चिंता से भरा है कि कहीं बाबा की अनुकंपा और उनकी छवि को कोई बाधा न पहुंचे। यही कारण है कि वह उन्हें काजल का टीका लगाने, फूलों से अलंकृत करने, और उनकी लीला को विशेष श्रद्धा से देखने की इच्छा प्रकट करता है। यह केवल बाहरी रक्षण नहीं, बल्कि आंतरिक भक्ति की पराकाष्ठा है, जहाँ भक्त का मन पूरी तरह से बाबा की प्रेममयी छवि में रम जाता है।
बाबा की लीला अप्रतिम है—उनका सौम्य मुख, कोमल स्नेह, और जगत के प्रति उनकी करुणा सभी को मोहते हैं। भजन में यह भावना गहराई से प्रकट होती है कि जब कोई भक्त सच्चे प्रेम से उनकी ओर निहारता है, तो वह केवल उनकी छवि ही नहीं देखता, बल्कि उनकी दिव्यता का अनुभव करता है। यही वह अनुभूति है, जो भक्ति को परिपूर्ण करती है।
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Author - Saroj Jangir
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