तेरी मुरली ने जुलम करी कान्हा

तेरी मुरली ने जुलम करी कान्हा भजन


तेरी मुरली ने ज़ुल्म करी,
जब कान्हा तेरी मुरली बाजे,
घर को छोड़ चली मैं भागे,
ये तो टाले से ना ही टली,
तेरी मुरली ने ज़ुल्म करी...

लोक-लाज मैंने सब छोड़ी,
ऐसी लागी प्रीत निगोड़ी,
मैं तो छलिया के फंद पली,
तेरी मुरली ने ज़ुल्म करी...

जाने ना कोई पीर हमारी,
जाके बस गए आप मुरारी,
ये तो विसरे ना एक घड़ी,
तेरी मुरली ने ज़ुल्म करी...

हरी बांस की टोरी बंसुरिया,
तोड़ डालूंगी ओ सांवरिया,
सखी, मुरली छुपाई लई,
तेरी मुरली ने ज़ुल्म करी...


ये भजन नही सुना तो कुछ नही सुना || तेरी मुरली ने जुलम || Teri murli ne|| UMA Series

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VOICE : RADHA RAMAN GOSWAMII
LYRICS: RADHA RAMAN GOSWAMI
 
सुन्दर भजन में श्रीकृष्णजी की मोहक बांसुरी और उसके दिव्य प्रभाव की गहन अनुभूति प्रकट होती है। यह बांसुरी कोई साधारण वाद्य यंत्र नहीं, बल्कि प्रेम, भक्ति, और आत्म-विसर्जन का प्रतीक है—जिसकी ध्वनि से भक्त का हृदय पूरी तरह श्रीकृष्णजी में समर्पित हो जाता है।

जब उनकी बांसुरी बजती है, तो संसार के सारे नियम, लोक-लाज, और बंधन निष्प्रभावी हो जाते हैं। इसकी ध्वनि इतनी आकर्षक होती है कि भक्त जीवन के सभी सांसारिक बंधनों को छोड़कर केवल श्रीकृष्णजी की भक्ति में रम जाता है। भजन में यह भाव स्पष्ट होता है कि जब प्रेम पूर्णतः ईश्वरीय हो जाता है, तब कोई सामाजिक बाधा या व्यक्तिगत संकोच उसे रोक नहीं सकता।

सुन्दर भजन में श्रीकृष्णजी की बांसुरी के प्रभाव से उत्पन्न आत्मीयता का भी गहन वर्णन मिलता है। यह ध्वनि प्रेम और भक्ति को इतनी गहराई से स्पर्श करती है कि इसका प्रभाव क्षणिक नहीं, बल्कि स्थायी हो जाता है। यह अनुराग इतना प्रबल है कि इसे कोई विस्मृत नहीं कर सकता। आत्मा इस प्रेम की धारा में पूर्णतः विलीन हो जाती है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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