दरबार ये श्याम प्रभु का है

दरबार ये श्याम प्रभु का है

दरबार ये श्याम प्रभु का है,
यहाँ जो मांगो वो मितला है,
किस्मत का ताला खुलता है।

यहाँ देरी का कोई काम नहीं,
यहाँ सुबह से होती श्याम नहीं,
पल भर में ये बाबा तो सभी की,
तकदीर बदलता है,
यहाँ जो मांगो वो मितला है,
किस्मत का ताला खुलता है।

ये सबसे सच्चा साथी है,
ये सबसे अच्छा माझी है,
ये थाम ले जिसकी नैया को वो,
भव से पार उतरता है,
यहाँ जो मांगो वो मितला है,
किस्मत का ताला खुलता है।

ये बिगड़ी बनाने वाला है,
ये जग का पालनहारा है,
इसकी ही मर्जी से भगतो,
संसार ये सारा चलता है,
यहाँ जो मांगो वो मितला है,
किस्मत का ताला खुलता है।

दरबार ये श्याम प्रभु का है,
यहाँ जो मांगो वो मितला है,
किस्मत का ताला खुलता है। 



यह सुन्दर भजन श्रीश्यामजी के दरबार की अनंत कृपा और भक्तों के अटूट विश्वास का भाव प्रकट करता है। जब कोई श्रद्धा से उनकी शरण में आता है, तब वह केवल एक याचक नहीं रहता, बल्कि उनकी कृपा से भाग्य के द्वार खुलने लगते हैं। यह अनुभूति केवल बाहरी नहीं, बल्कि भक्त के अंतर्मन की उस पुकार का उत्तर है, जहां समर्पण से सबकुछ संभव हो जाता है।

श्रीश्यामजी का दरबार केवल भक्ति का स्थान नहीं, यह वह धाम है जहां हर एक भक्त अपने दुखों को विसर्जित कर शांति और प्रेम की अनुभूति प्राप्त करता है। जब कोई सच्चे भाव से उनकी आराधना करता है, तब उसकी तकदीर बदलने लगती है—यह केवल सांसारिक परिवर्तन नहीं, बल्कि आत्मिक रूप से एक नए मार्ग पर प्रवेश करने की अनुभूति है।

श्रीश्यामजी का नाम केवल श्रद्धा का नहीं, बल्कि संबल का प्रतीक है। जब कोई भक्त उन्हें अपना साथी मानकर आगे बढ़ता है, तब उसकी नैया भवसागर से सहज ही पार होने लगती है। यह विश्वास जीवन की कठिनाइयों को केवल एक परीक्षा बनाकर प्रस्तुत करता है, जिससे साधक निर्भय होकर आगे बढ़ता है।

यह भाव हमें यह भी सिखाता है कि संसार की सभी गति केवल ईश्वरीय इच्छा से संचालित होती है। जब कोई व्यक्ति इस सत्य को स्वीकार कर लेता है, तब वह चिंता और अस्थिरता से मुक्त होकर शांति का अनुभव करता है। यही वह प्रेम है, जो भक्त को श्रीश्यामजी की कृपा में रमने की प्रेरणा देता है और उसे सच्ची भक्ति की पराकाष्ठा तक पहुंचाता है।
 
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