लगादे मोरछड़ी का झाड़ा बेडा भजन
लगादे मोरछड़ी का झाड़ा बेडा पार हो जाये भजन
आज तेरे भक्तों पे सरकार हो जाए
लगादे मोरछड़ी का झाड़ा बेडा पार हो जाये
काम करती है ऐसा जो कोई कर ना पाए
बिना झाड़े के किस्मत कभी भी संवर ना पाए
आज तेरे दरबार मेरा उद्धार हो जाए
लगादे मोरछड़ी का झाड़ा बेडा पार हो जाये
मोरछड़ी आगे आगे ज़माना पीछे पीछे
देख कर हो जाती है ये गर्दन नीचे नीचे
इक झाड़े हर सपना साकार हो जाए
लगादे मोरछड़ी का झाड़ा बेडा पार हो जाये
ये झाड़ा मोरछड़ी का लगा अपने हाथों से
करा दे पूजा इसकी श्याम मेरे हाथों से
थामे मोरछड़ी तेरा दीदार हो जाए
लगादे मोरछड़ी का झाड़ा बेडा पार हो जाये
काम अटके जो तेरा कभी जो नैया भटके
अगर जो गाडी तेरी खाये बनवारी झटके
लेकर मोरछड़ी असवार हो जाए
लगादे मोरछड़ी का झाड़ा बेडा पार हो जाये
लगादे मोरछड़ी का झाड़ा बेडा पार हो जाये
काम करती है ऐसा जो कोई कर ना पाए
बिना झाड़े के किस्मत कभी भी संवर ना पाए
आज तेरे दरबार मेरा उद्धार हो जाए
लगादे मोरछड़ी का झाड़ा बेडा पार हो जाये
मोरछड़ी आगे आगे ज़माना पीछे पीछे
देख कर हो जाती है ये गर्दन नीचे नीचे
इक झाड़े हर सपना साकार हो जाए
लगादे मोरछड़ी का झाड़ा बेडा पार हो जाये
ये झाड़ा मोरछड़ी का लगा अपने हाथों से
करा दे पूजा इसकी श्याम मेरे हाथों से
थामे मोरछड़ी तेरा दीदार हो जाए
लगादे मोरछड़ी का झाड़ा बेडा पार हो जाये
काम अटके जो तेरा कभी जो नैया भटके
अगर जो गाडी तेरी खाये बनवारी झटके
लेकर मोरछड़ी असवार हो जाए
लगादे मोरछड़ी का झाड़ा बेडा पार हो जाये
यह सुन्दर भजन श्रीश्यामजी की अद्भुत कृपा और उनकी असीम शक्ति को उजागर करता है। जब कोई भक्त उनके चरणों में पूर्ण समर्पण से आता है, तब वह हर बाधा से मुक्त हो जाता है। यह अनुभूति न केवल आत्मिक शांति की होती है, बल्कि जीवन की समस्त कठिनाइयों को पार करने की अद्भुत शक्ति भी प्रदान करती है।
मोरछड़ी का झाड़ा केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि दिव्य संरक्षण का प्रमाण है। जब कोई भक्त इसे श्रद्धा से स्वीकार करता है, तब वह विश्वास की उस ऊँचाई तक पहुँच जाता है, जहां हर विपदा पल भर में समाप्त हो जाती है। यह वह दिव्य स्पर्श है, जो साधक के भाग्य को सँवार देता है और उसे आत्मिक स्थिरता प्रदान करता है।
दरबार में जब भक्त अपनी समर्पण भाव से उपस्थित होता है, तब उसकी समस्त इच्छाएँ स्वतः ही पूर्णता की ओर बढ़ती हैं। यह वह क्षण होता है, जहां ईश्वरीय कृपा के स्पर्श से समस्त चिंताओं का अंत हो जाता है और विश्वास का एक नया प्रकाश जन्म लेता है।
माया, मोह, और सांसारिक विघ्न—इन सब से पार पाने की शक्ति इसी दिव्य कृपा में निहित है। जब मनुष्य इस प्रेम से जुड़ जाता है, तब उसके जीवन की नैया भी सही दिशा में बढ़ती है और हर विघ्न सहज रूप से समाप्त हो जाता है। यही वह अनुभूति है, जहां भक्ति केवल शब्दों में नहीं, जीवन की गहराई में उतरती है और साधक को परम आश्रय प्रदान करती है।
मोरछड़ी का झाड़ा केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि दिव्य संरक्षण का प्रमाण है। जब कोई भक्त इसे श्रद्धा से स्वीकार करता है, तब वह विश्वास की उस ऊँचाई तक पहुँच जाता है, जहां हर विपदा पल भर में समाप्त हो जाती है। यह वह दिव्य स्पर्श है, जो साधक के भाग्य को सँवार देता है और उसे आत्मिक स्थिरता प्रदान करता है।
दरबार में जब भक्त अपनी समर्पण भाव से उपस्थित होता है, तब उसकी समस्त इच्छाएँ स्वतः ही पूर्णता की ओर बढ़ती हैं। यह वह क्षण होता है, जहां ईश्वरीय कृपा के स्पर्श से समस्त चिंताओं का अंत हो जाता है और विश्वास का एक नया प्रकाश जन्म लेता है।
माया, मोह, और सांसारिक विघ्न—इन सब से पार पाने की शक्ति इसी दिव्य कृपा में निहित है। जब मनुष्य इस प्रेम से जुड़ जाता है, तब उसके जीवन की नैया भी सही दिशा में बढ़ती है और हर विघ्न सहज रूप से समाप्त हो जाता है। यही वह अनुभूति है, जहां भक्ति केवल शब्दों में नहीं, जीवन की गहराई में उतरती है और साधक को परम आश्रय प्रदान करती है।
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Author - Saroj Jangir
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