मैया मैं नहिं माखन खायो हिंदी मीनिंग Soor Das Pad Maiya Me Nahi Makhan Khayo Meaning

मैया मैं नहिं माखन खायो हिंदी मीनिंग Soor Das Pad Maiya Me Nahi Makhan Khayo Meaning

मैया मैं नहिं माखन खायो हिंदी मीनिंग Soor Das Pad Maiya Me Nahi Makhan Khayo Meaning

मैया मैं नहिं माखन खायो।
ख्याल परै ये सखा सबै मिलि मेरैं मुख लपटायो॥
देखि तुही छींके पर भाजन ऊंचे धरि लटकायो।
हौं जु कहत नान्हें कर अपने मैं कैसें करि पायो॥
मुख दधि पोंछि बुद्धि इक कीन्हीं दोना पीठि दुरायो।

डारि सांटि मुसुकाइ जशोदा स्यामहिं कंठ लगायो॥
बाल बिनोद मोद मन मोह्यो भक्ति प्राप दिखायो।
सूरदास जसुमति को यह सुख सिव बिरंचि नहिं पायो॥
 
हिंदी अर्थ / भावार्थ : इस पद में सूरदास जी श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हैं। श्रीकृष्ण अपनी माँ यशोदा से कहते हैं कि मैंने माखन नहीं खाया। यशोदा जी को संदेह होता है और वे कृष्ण के मुख को लपेट कर देखती हैं। वे देखते हैं कि कृष्ण के मुख में माखन लगी हुई है। यशोदा जी पूछती हैं कि तुमने माखन कैसे खाया? कृष्ण कहते हैं कि मैंने नहीं खाया। यशोदा जी कृष्ण के नान्हें करों को देखती हैं और कहती हैं कि तुमने कैसे खाया? कृष्ण कहते हैं कि मेरे सखा सब मिलकर मेरे मुख में माखन भर दिया।

यशोदा जी कृष्ण के मुख को दही से पोंछती हैं और उन्हें डाँटते हुए कहती हैं कि तुमने माखन खाया है। वे कृष्ण को पीठि देते हैं। कृष्ण रोने लगते हैं। यशोदा जी कृष्ण को गोद में लेकर सांत्वना देती हैं और उन्हें गले लगाती हैं। यशोदा जी कृष्ण की बाल लीलाओं में आनंदित होती हैं। उन्हें लगता है कि कृष्ण के बाल विनोद और मोद ने उनके मन को मोह लिया है। उन्हें लगता है कि कृष्ण की भक्ति प्राप्त करने का सुख शिव और ब्रह्मा भी नहीं पा सकते।

इस पद में सूरदास जी ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का चित्रण करते हुए एक ओर तो कृष्ण के बालपन की भोली-भाली और मासूमियत भरी हरकतों को दर्शाया है, तो दूसरी ओर यशोदा जी के स्नेह और ममता का भी चित्रण किया है। कृष्ण की बाल लीलाओं में उनकी माखन चोरी एक प्रसिद्ध लीला है। इस लीला के माध्यम से सूरदास जी ने कृष्ण के बालपन की भोली-भाली और मासूमियत भरी हरकतों को दर्शाया है। कृष्ण माखन चोरी करने के बाद अपनी माँ यशोदा से झूठ बोलते हैं। वे कहते हैं कि उन्होंने माखन नहीं खाया। यशोदा जी को कृष्ण की बात पर संदेह होता है और वे कृष्ण के मुख को लपेट कर देखती हैं। वे देखते हैं कि कृष्ण के मुख में माखन लगी हुई है। यशोदा जी कृष्ण को डाँटती हैं और उन्हें पीठि देती हैं। कृष्ण रोने लगते हैं। यशोदा जी कृष्ण को गोद में लेकर सांत्वना देती हैं और उन्हें गले लगाती हैं।

इस पद में सूरदास जी ने यशोदा जी के स्नेह और ममता का भी चित्रण किया है। यशोदा जी कृष्ण को बहुत प्यार करती हैं। वे कृष्ण की हर हरकत पर नजर रखती हैं। जब वे देखते हैं कि कृष्ण ने माखन चोरी किया है तो उन्हें गुस्सा आता है। वे कृष्ण को डाँटती हैं और उन्हें पीठि देती हैं। लेकिन फिर वे कृष्ण को गोद में लेकर सांत्वना देती हैं और उन्हें गले लगाती हैं। इस पद में सूरदास जी ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए एक ओर तो कृष्ण के बालपन की भोली-भाली और मासूमियत भरी हरकतों को दर्शाया है, तो दूसरी ओर यशोदा जी के स्नेह और ममता का भी चित्रण किया है।

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