"चल अकेला, चल अकेला, चल अकेला" एक हिंदी फिल्म गीत है जिसे कवि प्रदीप ने लिखा था और जिसे ओमकार प्रसाद नैय्यर ने संगीत दिया था। यह गीत 1969 की फिल्म "संबंध" के लिए लिखा गया था। इसे मुकेश ने गाया था। गीत की शुरुआत एक भव्य और शक्तिशाली धुन के साथ होती है। गीतकार एक व्यक्ति को संबोधित करता है और उसे अकेले चलने के लिए कहता है। वह उसे बताता है कि जीवन में दुख और कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
हज़ारो मील लंबे रास्ते तुझको बुलाते यहाँ दुखड़े सहने के वास्ते तुझको बुलाते है कौनसा वो इंसान यहाँपर जिसने दुःख ना झेला
तेरा कोई साथ ना दे तो तू खुद से प्रीत जोड़ ले बिछौना धरती को कर के अरे आकाश ओढ़ ले यहाँ पूरा खेल अभी जीवन का तूने कहाँ है खेला
गीत एक प्रेरणादायक और शक्तिशाली गीत है। यह गीत हमें यह सिखाता है कि हमें जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। हमें अपने आप पर भरोसा करना चाहिए और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं