श्री श्याम सलौने का दरबार बसंती है लिरिक्स

श्री श्याम सलौने का दरबार बसंती है लिरिक्स

श्री श्याम सलौने का,
श्री श्याम सलौने का,
दरबार बसंती है
श्रृंगार बसंती है।

बसंती ही पीताम्बर, बसंती ही फेटा है
बसंती सिंहासन, जिस पर ये बैठा हे
इसने जो पहने है, वो हार बसंती है
श्रृंगार बसंती है।

मुखड़े पर गौर करो, मुस्कान बसंती है
मुरली से उठ रही, वो तान बसंती है
जिस नजरों से ये देखे, वो प्यार बसंती है
श्रृंगार बसंती है।

इसकी हर प्रेमी की, पहचान बसंती है
दिल में जो मचल रहे, अरमान बसंती है
जिस डोर से ये बंधे, वो तार बसंती है
श्रृंगार बसंती है।

ये श्याम सरोवर है, बाबा की धरोहर है
‘बिन्नू’ इसके तट का हर घाट मनोहर है
इसके निर्मल जल की, हर धार बसंती है
श्रृंगार बसंती है।

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