हो साधो यह तन ठाठ तम्बूरे का कबीर भजन
हो साधो यह तन ठाठ तम्बूरे का हो साधो ||
पांच तत्व का बना है तम्बूरा तार लगा नौ तूरे का ||
एंचत तार मरोड़त खूँटी निकसत राग हजुरे का, हो साधो ||
टूटा तार बिखर गई खूँटी हो गया धूर मधुरे का, हो साधो ||
या देहि का गर्व न कीजे उड़ गया हंस तम्बूरे का ||
कहे कबीरा सुनो भई साधो अगम पंथ इक सूरे का ||
"हो साधो यह तन ठाठ तम्बूरे का हो साधो ||"कबीर कहते हैं कि यह शरीर तंबूरे की तरह है। जैसे तंबूरा संगीत उत्पन्न करता है, वैसे ही हमारा शरीर भी जीवन का आधार है। पर यह ठाठ-बाट दिखने भर का है, इसके भीतर जो आत्मा है, वही इसकी असली ध्वनि है।
"पांच तत्व का बना है तम्बूरा तार लगा नौ तूरे का ||"यह शरीर पाँच तत्वों—मिट्टी, पानी, अग्नि, वायु और आकाश से बना है। इसे जीवन का संगीत उत्पन्न करने के लिए नौ तारों (इंद्रियों) से सजाया गया है। इन तारों का संयोजन ही हमारी जीवन यात्रा को स्वर देता है।
"एंचत तार मरोड़त खूँटी निकसत राग हजुरे का, हो साधो ||"जब इन तारों को साधा जाता है, खूँटियों (संयम और साधना) से ठीक किया जाता है, तो आत्मा से वह दिव्य राग निकलता है जो हमें परमात्मा के समीप ले जाता है। यह राग केवल सच्चे साधक ही सुन सकते हैं।
"टूटा तार बिखर गई खूँटी हो गया धूर मधुरे का, हो साधो ||"
लेकिन यदि तार टूट जाए या खूँटी ढीली हो जाए, तो मधुर राग बिखर जाता है। यही हमारे शरीर की स्थिति है—जब यह बिगड़ता है, तो जीवन का संगीत भी समाप्त हो जाता है। यह हमें इस नश्वर देह के प्रति आसक्ति छोड़ने का संदेश देता है।
"या देहि का गर्व न कीजे उड़ गया हंस तम्बूरे का ||"कबीर चेताते हैं कि इस शरीर पर गर्व मत करो। जैसे ही आत्मा (हंस) उड़ जाती है, तंबूरे (शरीर) का कोई महत्व नहीं रह जाता। शरीर तो मात्र एक साधन है, आत्मा ही सत्य है।
"कहे कबीरा सुनो भई साधो अगम पंथ इक सूरे का ||"अंत में कबीर कहते हैं, "सुनो साधकों, जीवन का मार्ग गूढ़ और रहस्यमय है। यह वह पथ है जो केवल सच्चे साधकों के लिए है। यह परमात्मा का मार्ग है, जहाँ पहुँचने के लिए साधना, संयम, और आत्म-जागरूकता आवश्यक है।"
संदेश:
भजन का सन्देश है कि शरीर एक साधन मात्र है। इसका उपयोग आत्मा के दिव्य संगीत को जागृत करने के लिए करें। परंतु शरीर के प्रति आसक्ति न रखें, क्योंकि यह क्षणभंगुर है। ध्यान, साधना और सच्चे ज्ञान से उस "अगम पंथ" पर चलें, जहाँ आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है। यही हमारे जीवन का असली उद्देश्य है।
Ho Saadho Yah Tan Thaath Tamboore Ka Ho Saadho ||
Paanch Tatv Ka Bana Hai Tamboora Taar Laga Nau Toore Ka ||
Enchat Taar Marodat Khoontee Nikasat Raag Hajure Ka, Ho Saadho ||
Toota Taar Bikhar Gaee Khoontee Ho Gaya Dhoor Madhure Ka, Ho Saadho ||
Ya Dehi Ka Garv Na Keeje Ud Gaya Hans Tamboore Ka ||
Kahe Kabeera Suno Bhee Saadho Agam Panth Ik Soore Ka ||
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Author - Saroj Jangir
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