कबीर साहेब ने गुरु के साथ संगत को आवश्यक माना है क्योंकि गुरु ही शिष्य को सत्य का मार्ग दिखा सकता है। गुरु ही शिष्य को अज्ञानता के अंधकार से बाहर निकाल सकता है और उसे ज्ञान का प्रकाश दिखा सकता है। कबीर साहेब के अनुसार, गुरु के बिना ज्ञान प्राप्त करना असंभव है। गुरु ही शिष्य को सही ज्ञान प्रदान करता है और उसे सही मार्ग पर चलने में मदद करता है। गुरु ही शिष्य को अपने अंदर छिपी हुई शक्तियों को जागृत करने में मदद करता है। कबीर साहेब के अनुसार, गुरु मिलना कोई आसान बात नहीं है। गुरु केवल किस्मत वालों को मिलते हैं। जो व्यक्ति सच्चे मन से गुरु की खोज करता है, उसे गुरु अवश्य मिल जाता है।
एकला मत छोड़जो बंजारा रे लिरिक्स
दाता नदिया एक सम, सब काहू को देत, हाथ कुंभ जिसका जैसा, वैसा ही भर लेत || कबीर सोई पीर है, जो जाने पर पीर, जो पर पीर ना जानिए, सो काफिर बे पीर।| एकला मत छोड़जो बंजारा रे, परदेस का है मामला खोटा हो जाना रे,
दूर देस का है मामला टेढा हो जाना रे.
अपना साहब जी ने बंगला बनायो बंजारा रे ऊपर रखियो झरोखा झान्क्या करो प्यारा रे
अपना साहब जी ने बाग लगायो बंजारा रे फूलां भरी है छाबड़ी पाया करो प्यारा रे
अपना साहब जी ने
Kabir Bhajan Lyrics in Hindi
कुआँ खानायो बंजारा रे गहरा भरया नीर वां नहाया करो प्यारा रे
कहें कबीर धर्मदास से बंजारा रे सत अमरापुर पावीया सौदा करो प्यारा रे
भजन – एकला मत छोड़ जो बणजारा रे
एकला मत छोड़ जो बंजारा रे || Ekla Mat Chodjo Banjara Re || Kabir Bhajan
Ekala Mat Chhodajo Banjaara Re Parades Ka Hai Maamala Khota Ho Jaana Re Door Des Ka Hai Maamala Tedha Ho Jaana Re
Apana Saahab Jee Ne Bangala Banaayo Banjaara Re Oopar Rakhiyo Jharokha Jhaankya Karo Pyaara Re
Apana Saahab Jee Ne Baag Lagaayo Banjaara Re Phoolaan Bharee Hai Chhaabadee Paaya Karo Pyaara Re
Apana Saahab Jee Ne Kuaan Khaanaayo Banjaara Re Gahara Bharaya Neer Vaan Nahaaya Karo Pyaara Re
Kahen Kabeer Dharmadaas Se Banjaara Re Sat Amaraapur Paaveeya Sauda Karo Pyaara Re