सतयुग त्रेता द्वापर, और यहाँ कलियुग अनुमान, सार शब्द एक साँच है, और झूठ सब ज्ञान। (जंतर मंतर सब झूठ है, मति भरमो जग कोय, सार शब्द जाने बिना, कागा हंस ना होय। रैन तिमिर नासत भयो, जब ही भानु उगये सार शब्द के जानते, करम भरम मिटि जाये।) सतयुग त्रेता द्वापुर, यह कलियुग अनुमान, सार शब्द एक साँच है, और झूठ सब ज्ञान।
चेत रे गुमानी फिर यो, जनम ना मिलेगा, माया संग ना चले, काया संग ना चले। हाँ, चेत रे गुमानी फिर यो, जनम ना मिलेगा, माया संग ना चले, काया संग ना चले।
दस वरष सोलह गये खेल में, बीस गया माया के गैल में, चालीस साल तिरिया की सेज पे, पचपन में नाड़ी हिले रे, माया संग ना चले, काया संग ना चले, चेत रे गुमानी फिर यो जनम ना मिलेगा, माया संग ना चले, काया संग ना चले।
काले गई सफेदी आई, तन की खाल उजड़ सब जाई, हरे हरे, बंदर जैसा मुँह हो जाय तेरा, बंदर जैसा मुँह हो जाय डगमग नाड़ हिले रै। माया संग ना चले, काया संग ना चले,
Kabir Bhajan Lyrics in Hindi
चेत रे गुमानी फिर यो जनम ना मिलेगा, माया संग ना चले, काया संग ना चले।
तू कहता है मेरी मेरी, ये माया तेरी ना मेरी, हरे हरे, धन दौलत थारा यहीं रह जावै, तू तो अग्नी के साथ जले रे, माया संग ना चले, काया संग ना चले, चेत रे गुमानी फिर यो जनम ना मिलेगा, माया संग ना चले, काया संग ना चले।
भजन करेगा तो सुख पावैगा, धन दौलत थारी काम नई आवे, हरे हरे, धन दौलत थारी यहीं रह जावे, कहत कबीर विचारी, माया संग ना चले,
माया संग ना चले, काया संग ना चले, चेत रे गुमानी फिर यो जनम ना मिलेगा, माया संग ना चले, काया संग ना चले।
चेत रे गुमानी फिर यो जनम ना मिले || Chet re gumani || Geeta Parag || Kabir bhajan || Saas bahu ||
Satayug Treta Dvaapar, Aur Yahaan Kaliyug Anumaan, Saar Shabd Ek Saanch Hai, Aur Jhuth Sab Gyaan. (Jantar Mantar Sab Jhuth Hai, Mati Bharamo Jag Koy, Saar Shabd Jaane Bina, Kaaga Hans Na Hoy. Rain Timir Naasat Bhayo, Jab Hi Bhaanu Ugaye Saar Shabd Ke Jaanate, Karam Bharam Miti Jaaye.) Satayug Treta Dvaapur, Yah Kaliyug Anumaan, Saar Shabd Ek Saanch Hai, Aur Jhuth Sab Gyaan. Chet Re Gumaani Phir Yo, Janam Na Milega, Maaya Sang Na Chale, Kaaya Sang Na Chale. Haan, Chet Re Gumaani Phir Yo, Janam Na Milega, Maaya Sang Na Chale, Kaaya Sang Na Chale.