ओम त्र्यंबकम् यजामहे
सुगन्धिम् पुष्यवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनं
मर्त्यो मुखी मैमत
नमः शिवाय
जयते जयते जय महादेव
त्रिपुरारी जय जय देवो के देव
जयते जयते जय महादेव
त्रिपुरारी जय जय देवो के देव
नीलकंठ कैला वासी
दया करो तुम हे गौरी शंकर
बसते मन अंतर्
जपता निरंतर शिव शंकर
जयते जयते जय महादेव
त्रिपुरारी जय जय देवो के देव
जयते जयते जय महादेव
त्रिपुरारी जय जय देवो के देव
शिव शंकर, शिव शंकर
हे नागेश्वर सुन
महा कलेश्वर सुन
सुन कैलाश पति संभु
घट घट वासी तुम
हो अविनाशी तुम
तूं संसारपति समभु
लोभ मोह मैया है घेरे
तेरी कृपा सी मिटे अँधेरे
होते सवेरे एक तू ही मेरे
शिव शंकर
जयते जयते जय महादेव
त्रिपुरारी जय जय देवो के देव
जयते जयते जय महादेव
त्रिपुरारी जय जय देवो के देव
सब जग झूठा है धीरज टूटा है
अपन चरन मीन मुजे घर दोऊ
तम मन की मेरी चदर मेलि है
गंगा धर पावन कर दो
तीन लोको के तुम हो स्वामी
में प्राण अपेन करदु न्योछावर
मुजपे दया कर में बोलु हर हर
शिव शंकर
जयते जयते जय महादेव
त्रिपुरारी जय जय देवो के देव
जयते जयते जय महादेव
त्रिपुरारी जय जय देवो के देव
ओम त्र्यंबकम् यजामहे
सुगन्धिम् पुष्यवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनं
मृत्युं मुक्षि मामृत
नमः शिवाय