सब गोविन्द है सब गोविन्द है
सब गोविन्द है सब गोविन्द है भजन
सब गोविन्द है सब गोविन्द है
सब गोविन्द है सब गोविन्द है।
गोविन्द बिन नहीं कोई, गोविन्द बिन नहीं कोई ॥
सुत एक मन सत सहंस जैसे ओत प्रोत प्रभु सोई ।
एक अनेक बियापक (व्यापक) पूरक जत्त देखूं तत सोई ।
माइया माया चित्र विचित्र विमोहित, विरला समझे कोई ।।
जल तरँग अर फेन बुदबुदा जल ते भिन्न ना होई ।
इह परपंच पारब्रहम की लीला, विचरत आन ना होई ।।
मिथ्या भ्रम और सुपन मनोरथ सति पदार्थ जानिया ।
सुकृत मनसा गुर उपदेशी जागत ही मन मानया ।।
कहत नामदेव हरि की रचना देखो हृदय विचारि ।
घट घट अंतर सर्व निरंतर केव
ल एक मुरारी ।।
Sabh Gobind Hai By Bhai Harjinder Singh Ji Sri Nagar Wale Sabh Gobind Hai
ਸਭੁ (सबु): सब कुछ.
ਗੋਬਿੰਦੁ (गोबिंदु): ईश्वर.
ਹੈ (है): है.
ਸਭੁ ਗੋਬਿੰਦੁ ਸਭੁ ਗੋਬਿੰਦੁ ਹੈ ਗੋਬਿੰਦ ਬਿਨੁ ਨਹੀ ਕੋਈ ॥
सभु गोबिंदु है सभु गोबिंदु है गोबिंद बिनु नही कोई ॥
The entire universe is God. Nothing exists without God. Gobind is everything, Gobind is everything. Without Gobind, there is nothing at all.
ਸੂਤੁ ਏਕੁ ਮਣਿ ਸਤ ਸਹੰਸ ਜੈਸੇ ਓਤਿ ਪੋਤਿ ਪ੍ਰਭੁ ਸੋਈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
सूतु एकु मणि सत सहंस जैसे ओति पोति प्रभु सोई ॥१॥ रहाउ ॥
Just as a single thread connects hundreds of thousands of beads, God is intricately woven into His entire creation. ||1||Pause|| As one thread holds hundreds and thousands of beads, He is woven into His creation. ||1||Pause||
ਜਲ ਤਰੰਗ ਅਰੁ ਫੇਨ ਬੁਦਬੁਦਾ ਜਲ ਤੇ ਭਿੰਨ ਨ ਹੋਈ ॥
जल तरंग अरु फेन बुदबुदा जल ते भिंन न होई ॥
The waves of the water, the foam and bubbles, are not distinct from the water.
ਇਹੁ ਪਰਪੰਚੁ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਕੀ ਲੀਲਾ ਬਿਚਰਤ ਆਨ ਨ ਹੋਈ ॥੨॥
इहु परपंचु पारब्रहम की लीला बिचरत आन न होई ॥२॥
This manifested world is the playful game of the Parbrahm; reflecting upon it, we find that it is not different from Him. ||2||
ਮਿਥਿਆ ਭਰਮੁ ਅਰੁ ਸੁਪਨ ਮਨੋਰਥ ਸਤਿ ਪਦਾਰਥੁ ਜਾਨਿਆ ॥
मिथिआ भरमु अरु सुपन मनोरथ सति पदारथु जानिआ ॥
False doubts and dream objects - man believes them to be true.
ਸੁਕ੍ਰਿਤ ਮਨਸਾ ਗੁਰ ਉਪਦੇਸੀ ਜਾਗਤ ਹੀ ਮਨੁ ਮਾਨਿਆ ॥੩॥
सुक्रित मनसा गुर उपदेसी जागत ही मनु मानिआ ॥३॥
The Guru has instructed me for benevolent discernment and my mind has accepted this after awakening. ||3||
ਕਹਤ ਨਾਮਦੇਉ ਹਰਿ ਕੀ ਰਚਨਾ ਦੇਖਹੁ ਰਿਦੈ ਬੀਚਾਰੀ ॥
कहत नामदेउ हरि की रचना देखहु रिदै बीचारी ॥
Says Naam Dayv, see the Creation of Hri, and reflect upon it in your heart.
सृष्टि के प्रत्येक कण में परमात्मा की उपस्थिति का बोध ही जीवन का सच्चा ज्ञान है। यह संसार और इसमें विद्यमान हर तत्व, चाहे वह जल की लहरें हों, फेन हो या बुलबुले, सभी उस एक परम सत्य का ही अंश हैं। जैसे एक सूत्र में असंख्य मणियाँ पिरोई जाती हैं, वैसे ही यह समस्त सृष्टि परमात्मा के सूत्र में बंधी है, और वह स्वयं इसमें ओतप्रोत है। यह समझ कि कुछ भी उस परम शक्ति से भिन्न नहीं है, मनुष्य को माया के भ्रम से मुक्त करती है। यह संसार उनकी लीला है, और इस लीला में डूबकर जब मनुष्य उनके स्वरूप का चिंतन करता है, तो उसे यह स्पष्ट होता है कि वह स्वयं और यह विश्व, दोनों ही उस एकमात्र सत्य का हिस्सा हैं। इस बोध के साथ, व्यक्ति का जीवन एक गहरे आध्यात्मिक अर्थ से भर जाता है।
Sabh Gobind Hai By Bhai Harjinder Singh Ji Sri Nagar Wale, Kirtan Samagam, 13July 2014pm, At Gurdawara Mitha Tiwana, Model Town, Hoshiarpur, Pb. india, Download Shabad Kirtan
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