सब गोविन्द है सब गोविन्द है

सब गोविन्द है सब गोविन्द है लिरिक्स

 
सब गोविन्द है सब गोविन्द है लिरिक्स Sab Govind Hai Sab Goving Lyrics

सब गोविन्द है सब गोविन्द है
सब गोविन्द है सब गोविन्द है।
गोविन्द बिन नहीं कोई, गोविन्द बिन नहीं कोई ॥
सुत एक मन सत सहंस जैसे ओत प्रोत प्रभु सोई ।
एक अनेक बियापक (व्यापक) पूरक जत्त देखूं तत सोई ।
माइया माया चित्र विचित्र विमोहित, विरला समझे कोई ।।

जल तरँग अर फेन बुदबुदा जल ते भिन्न ना होई ।
इह परपंच पारब्रहम की लीला, विचरत आन ना होई ।।

मिथ्या भ्रम और सुपन मनोरथ सति पदार्थ जानिया ।
सुकृत मनसा गुर उपदेशी जागत ही मन मानया ।।

कहत नामदेव हरि की रचना देखो हृदय विचारि ।
घट घट अंतर सर्व निरंतर केवल एक मुरारी ।।




Sabh Gobind Hai

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