ओमू र्भुवः भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं

ओमू र्भुवः भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं

गायत्री मंत्र, मंत्रों में महामंत्र। एक ऐसा मंत्र जिसके उच्चारण मात्र से ही हमारा मन चाहे कितना भी अशांत हो, शांत हो जाता है। चारों वेदों से मिलकर बने गायत्री मंत्र का उच्चारण करने से व्यक्ति के जीवन में कष्टों का नाश होता है एवं खुशियों का संचार होता है। इस मंत्र का जाप करने से शरीर निरोग बनता है और इंसान को यश, प्रसिद्धि और धन की प्राप्ति भी होती है
 
ओमू र्भुवः भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं लिरिक्स Om Bhur Bhuva Swa Tatviturvarenyam Lyrics
 
ओमू र्भुवःभुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं ।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
Om Bhur Bhuvaḥ Swaḥ
Tat-savitur Vareñyaṃ
Bhargo Devasya Dhīmahi
Dhiyo Yonaḥ Prachodayāt
 
ओमओमकार (प्रणव ओम की ध्वनी)
भूर = समस्त मनुष्यों में प्राण डालने (जीवन) देने वाला
भुवः = समस्त दुखों का अंत (नाश) करने वाला
स्वः = सुख और वैभव (खुशी/आनन्द/प्रसन्नता) प्रदाण करने वाला
तत = वह
सवितुर = सूर्य के समान उज्जवल
वरेण्यं= सभी से उत्तम है .
भर्गो- = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य- = प्रभु (ईश्वर)
धीमहि- = आत्म चिंतन (ध्यान/मेडिटेशन) के योग्य
धियो = बुद्धि
यो = जो
नः = हमारी
प्रचो- शक्ति
दयात् = हमें प्रदान करें (प्रार्थना) 
यह शिव गायत्री मंत्र है जो बहुत ही प्रभावशाली है और जिसका जप करने से मनुष्य का कल्याण हो सकता है। शिव गायत्री मंत्र का जप प्रत्येक सोमवार को करना श्रेष्ठ माना गया है। शुक्ल पक्ष के किसी भी सोमवार से उपवास रखते हुए इस मंत्र का आरंभ करना अधिक लाभकारी होता है। शिवरात्रि एवं श्रावण मास के सोमवार को शिव गायत्री मंत्र का जप विशेष शुभ फलदायी माना गया है। शिव गायत्री मंत्र का जप करके शिवलिंग पर गंगा जल, बेलपत्र, धतूरा, चंदन, धूप, फल, पुष्प आदि श्रद्धा भाव से अर्पित करने से शिवजी की कृपा प्राप्त होती है। 
 
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।

LIVE: Gayatri Mantra Chanting | गायत्री मंत्र जाप | ॐ भूर्भुवः स्वः

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