पतंजलि गोधन अर्क क्या है : Patanjali Godhan Art Kya Hota Hai Patanjali Godhan Ark Hindi
पतंजलि गोधन अर्क गाय के मूत्र से बना अर्क होता है जिसका प्राचीन समय से ही रोगों के उपचार के लिए उपयोग किया जातारहा है। यदि एक वाक्य में कहा जाय तो यह पुरे शरीर से विषाक्त प्रदार्थों को बाहर निकालने में सक्षम है। आयुर्वेद में जो वात, कफ्फ और पित्त बिगड़ जाते हैं तभी रोग आते हैं। बस ये समझ लीजिये की गाय का मूत्र अदभुद है और यह त्रिदोष को समाप्त करने में सक्षम है। इन रोगों को समाप्त करने में एक मात्र गो मूत्र लाभदायी है। वाग्भट्ट जी ने आज से साढ़े तीन सौ साल पहले ही यह बताया है और वर्तमान में हुए वैज्ञानिक परिक्षण के आधार पर यह सिद्ध हुआ की गाय के मूत्र में कैल्शियम, सल्फर , आयरन, मेगनीसियम सरीखे १८ सूक्ष्म गुणकारी पोषक तत्व पाए गए हैं। प्रयोगशाला में हुए परिक्षण (CDRI), लखनऊ में हुए परिक्षण में यह तथ्य पूर्ण रूप से साबित हुयी है की गोमूत्र शरीर के लिए बहुत ही लाभदायी है और आप US National Medical library की रिपोर्ट का भी अध्धयन करें। आयुर्वेद में प्रमुख रूप से ८ मुत्रों के माध्यम से निदान का विधान है जिनमे से गाय का मूत्र अत्यंत ही गुणकारी और प्रमुख है। वर्तमान में आयुष मंत्रालय भी अपने स्तर पर इस विषय में शोध कर रहा है।
गोमूत्र और गोमूत्र अर्क में क्या अंतर होता है : Patanjali Godhan Ark (Go Mutra) Benefits Usages Price पतंजली गोधन अर्क (गो मूत्र) लाभ, उपयोग और सेवन
गोमूत्र और गोमूत्र अर्क दोनों ही लाभदायी होते हैं और इनके गुणों में कोई अंतर नहीं होता है। अर्क से आशय है की इसे काफी दिनों तक स्टोर किया जा सकता है। पोषण की दृष्टि से दोनों में कोई विशेष अंतर नहीं होता है। कई परिस्थितियों में देसी गाय का गोमूत्र प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है।
गोमूत्र / गोमूत्र की तासीर : गो मूत्र कटु, तिक्त होता है और इसकी तासीर गर्म होती है। यह अग्नि प्रज्ज्वलित करने (भूख बढाने वाला) होता है।
पतंजलि गोधन अर्क को लगातार कितने समय तक लेवे : सामान्य अवस्था में इसका उपयोग तीन सप्ताह से अधिक नहीं किया जाना चाहिए। इस सबंध में आप वैद्य की सलाह लेकर जटिल रोगों हेतु इसका सेवन अधिक समय तक कर सकते हैं।
पतंजलि गोधन अर्क को बगैर किसी रोग के निदान हेतु लेना : यदि आप स्वस्थ हैं तो भी आप एक महीने में एक सप्ताह तक ले सकते हैं।
पतंजलि गोधन अर्क के बनाने की विधि : अर्क बनाने की विधि की भांति ही गोमूत्र का भी अर्क बनाया जाता है जिसमे शुद्ध देसी नस्ल के गाय के मूत्र (प्रातः कालीन का मूत्र सर्वश्रेष्ठ ) को सीधे हे एकत्रित (जमीन पडा हुआ नै ) करके इसे गर्म करके इसकी भाप को ठंडा करके गोमूत्र से गोमूत्र अर्क का निर्माण किया जाता है। आप निचे पढ़ें की यदि आप सक्षम हैं तो कैसे आप स्वंय गोमूत्र से अर्क अपने घर / खेत में बना सकते हैं।
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पतंजलि गोधन अर्क के लाभ /फायदे :
- शरीर में सल्फर की कमी को दूर करके त्वचा विकारों को दूर करता है।
- घुटने, कमर दर्द आदि में भी इसका लाभ मिलता है क्योंकि ये वात को नियंत्रित करता है।
- टीबी रोग में भी गोमूत्र का लाभ प्राप्त होता है।
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है जिससे सामान्य बीमारिया भी व्यकित को प्रभावित नहीं कर सकती हैं।
- त्वचा रोगों यथा खाज, खुजली और फोड़ो को दूर करता है। त्वचा के विकार यथा फोड़े फुंसी, खुजली आदि होने पर गोमूत्र में आमा हल्दी (कच्ची हल्दी ) मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है। आप चाहे तो स्नान से पहले अपने शरीर पर कुछ देर तक गोमूत्र लगायें और उसके बाद स्नान करे तो अधिक लाभ मिलता है।
- यदि मुख में कोई विकार है तो दिन में दो से तीन बार गो मूत्र से कुल्ला करने पर मुंह के कीटाणु और संक्रमण दूर होता है।
- उच्च और निम्न ब्लड प्रेशर में भी उपयोगी
- कान में दर्द होने पर एक बूंद गो मूत्र कान में डालने से लाभ मिलता है।
- पीलिया रोग में भी उत्तम।
- पेट फूलना विकार होने पर गो मूत्र में अजवाइन का चूर्ण मिला कर लेने से लाभ मिलता है।
- गोमूत्र बुद्धि को बढ़ाने वाला होता है।
- कफ्फ और पित्त में यह पूर्ण रूप से और पित्त के लिए अन्य सहायक दवाओं के माध्यम से कारगर होता है।
- सन्धिवातद्ध जोड़ों के दर्द में भी यह लाभदायी होता है, महारास्नादि क्वाथ के साथ इसे मिलाकर पीने से विशेष लाभ मिलता है, क्योंकि यह वात को भी नियंत्रित करता है।
- पायरिया रोग में भी गोमूत्र के सेवन से लाभ मिलता है। गोमूत्र से प्रतिदिन कुल्ला करने पर पायरिया रोग पूर्णतया समाप्त हो जाता है।
- गर्म तासीर होने के बावजूद भी पित्त को नियंत्रित करने का गुण इसके होता है।
- शरीर में आवश्यक घटकों को पुनः स्थापित करने में सहायक।
- वर्तमान में कैंसर से सबंधित रोग में भी इसका अनुसंधान चल रहा है जिसके परिणाम सकारात्मक आये हैं। गोमूत्र में कर्क्युमीन पाया जाता है जो कैंसर सेल्स को बनने से रोकता है। इस विषय पर एक पेटेंट अमेरिका से प्राप्त किया जा चुका है, जिसमे इसे एंटी कैंसर के गुण होने की पुष्ठी की गयी है। शोध के मुताबिक भी गौमूत्र से मुंह, फेफडों, किडनी, त्वचा, सर्विक्स और ब्रेस्ट कैंसर से बचाव में सहायता मिलती है। (अधिक जाने )
- डायबिटीज में भी गोमूत्र सेवन से लाभ मिलता है।
- गोमूत्र के सेवन से आँखों की रौशनी बढती है।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के साथ ही मांसपेशियों के विकारों में भी लाभदायी होता है।
- यह हमारे शरीर से कृमी को समाप्त करता है और एक तरहा से कीटनाशंक की भांति कार्य करता है।
- शरीर में रक्त की कमी को दूर करता है और अनीमिया रोग में लाभदायी होता है।
- गोमूत्र के सेवन से स्नायु तंत्र के विकार दूर होते हैं।
- गोमूत्र /गोमूत्र अर्क में एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।
- गोमूत्र के सेवन से लीवर से सबंधित विकार भी दूर करने में मदद मिलती है।
- शरीर से अतिरिक्त चर्बी को दूर हटाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है।
- यह पाचन अग्नि को बढाता है और खराब पाचन के परिणाम स्वरुप उत्पन्न विकार यथा गैस, अपच, खट्टी डकार और कब्ज जैसे विकारों में भी लाभदायी होता है। आतों को गति प्रदान करता है।
- गोमूत्र रक्त प्रवाह को नियंत्रित करता है और शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- हृदय की सुजन को दूर करता है।
पतंजलि गोधन अर्क का सेवन : सुबह खाली पेट पांच एमएल को इसके पांच गुना पानी (आधा गिलास) पानी के साथ लेना श्रेयकर होता है। जोड़ों में दर्द, कफ्फ, खांसी आदि ग्रस्त विकारों में आप इसे गुनगुने पानी के साथ अन्यथा इसे आप सामान्य तापमान के पानी के साथ ले सकते हैं। छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं / किसी अन्य जटिल रोग की दवा के चलते रहने पर इसे ना लें और वैद्य की सलाह के उपरान्त ही इसका सेवन करें। पित्त विकृति, एसिडिटी, गर्भावस्था के दौरान गो मूत्र /गो अर्क सामान्य रूप से नहीं लेना चाहिए।
पतंजलि गोधन अर्क का नुक्सान / हानि : वैद्य की बतायी गयी मात्रा में गोमूत्र लेने से कोई भी दुष्परिणाम नहीं होता है। यदि आप इसे अनियंत्रित रूप से / मनमाने ढंग से /अधिक मात्रा में लेते हैं तो आपको नकसीर छूटना, फफोले होना, शरीर में गर्मी का बढना आदि विकार हो सकते हैं, इसलिए इसे वैद्य की सलाह के उपरान्त ही सेवन करे क्योंकी इसकी तासीर गर्म होती है। गर्मियों में इसकी मात्रा कुछ कम ही करने चाहिए।
पतंजलि गोधन अर्क कहाँ से खरीदें : पतंजलि गोधन अर्क को आप पतंजलि आयुर्वेदा के स्टोर्स से खरीद सकते हैं। यदि आप इस दवा को ऑनलाइन खरीदना चाहते हैं तो मजीद मालूमात के लिए पतंजलि आयुर्वेद की अधिकृत वेबसाइट पर विजिट करें जिसका लिंक निचे दिया जा रहा है।
पतंजलि गोधन अर्क की कीमत : पतंजली गोधन वर्त्तमान में रूपये ४० का है जो की हमें ४५० एम एल की मात्रा में प्राप्त होता है।
पतंजलि गोधन अर्क के विषय पर पतंजली वेबसाइट से प्राप्त जानकारी :
Divya Godhan Ark is an ancient Ayurvedic medicine made by extracting the goodness from gomutra or cow urine. It has multiple benefits and cures a variety of serious ailments. It gives you relief from problems of liver and stomach. It cures eczema, controls diabetes and cancer. Divya Godhan Ark has detoxifying properties which cleanses your system of toxins accumulated from the environment or unhealthy lifestyle. Get holistic cure and experience Ayurvedic healing at its best with Divya Godhan Ark.
गावश्च शुश्रुषते यश्च समन्वेति च सर्वशः।
तस्मै तुष्टाः प्रयच्छन्ति वरानपि सुदुर्लभान्।।
तस्मै तुष्टाः प्रयच्छन्ति वरानपि सुदुर्लभान्।।
गो मूत्र के विषय पर जानकारी : आयुर्वेद में देसी गाय के मूत्र को एक संजीवनी कहा गया है और वर्तमान समय में हुए चिकित्सीय परिक्षण में यह तथ्य साबित हो चुका है की गाय के मूत्र के बहुत लाभदायी परिणाम प्राप्त होते हैं। इसीलिए पहले हर घर में गाय को रखने का रिवाज था। वाग्भट जी ने साढ़े तीन सौ साल पहले से ही इस विषय को लोगों को बताया की गाय और उसके सभी उत्पाद कितने उपयोगी होते हैं। गोमूत्र (गाय का मूत्र) पंचगव्यों में से एक है। गोमूत्र में पानी 95%, यूरिया 2.5%, खनिज, नमक, हार्मोन और एंजाइम 2.5% होते हैं और साथ ही इसमें लोहा, कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, यूरिया, यूरिक एसिड, अमीनो एसिड, एंजाइम, साइटोकिन और लैक्टोज आदि पोषक तत्व भी पाए जाते हैं।
गोमूत्र के क्या उपयोगी होता है (Chemical composition of Gomutra ) : गोमूत्र में निम्न खनिज/विटामिन्स और पोषक तत्व पाए जाते हैं जो की
हमारे शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए बहुत ही जरुरी हैं।
- गोमूत्र उरिया होता है जो जीवाणु /कृमी रोधी होता है।
- गोमूत्र में उरिक एसिड भी पाया जाता है जो की हमारे शरीर से कैंसर सेल्स को नियंत्रित करने में भूमिका रखता है।
- स्वमाक्षर (Swama Kshar) : यह जीवाणु रोधी / विषहर और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने वाला होता है।
- विटामिन ए बी सी डी और ई (Vitamin A, B, C, D & E): गोमूत्र में ये तमाम विटामिन्स होते हैं जो हमारे शरीर को स्वस्थ बनाए रखते हैं और रोग प्रतिरोधंक क्षमता को बढाते हैं।
- कैल्सियम (Calcium) : कैल्शियम हमारे शरीर में अन्य विटामिन्स के हमारे शरीर में विलय /अव्शोष्ण के लिए आवश्यक होता है और यह हड्डियों को मजबूत बनाने के दीगर मांशपेशियों की कार्य प्रणाली को सुधारता है। यह हमें गोमूत्र से प्राप्त हो जाता है।
- गाय के मूत्र से हमें मैंगनीज (Manganese), पोटाशियम (Potassium), सोडियम (Sodium), फोस्फेट (Phosphate), लोहा (Iron), तांबा (Copper), सल्फर (Sulphur), अमोनिया (Ammonia), नाइट्रोजन (Nitrogen) आदि प्राप्त होते हैं जो शरीर के विभिन्न गतिविधियों में अहम् भूमिका रखते हैं।
गोमूत्र के सेवन में निम्न बातों का विशेष रूप से ध्यान रखें :
- ऐसी गाय का मूत्र उत्तम माना जाता है जो रोज खेत में चरने जाती हो, एक जगहा पर बंधी हुयी गाय /शहर की गाय का मूत्र उपयोगी नहीं होता है (कम उपयोगी होता है ). इसलिए जब भी आप गोमूत्र का चयन करें तो इस बात का वेशेष ध्यान रखें।
- सात परत के सूती कपडे में छान कर लेना चाहिए।
- सुबह जब गाय पहल मूत्र त्यागती है, वह ओषधिय रूप से अत्यंत ही लाभदायी होता है। कोशिश की जानी चाहिए की आप उसी गो मूत्र का उपयोग करें।
- देसी गाय की कुवारी गाय (बाछी, केरडी, जिसको गर्भधान नहीं हुआ हो ) का मूत्र अमृत के समान माना गया है। देसी गाय की पहचान कर लें (गाय के थुआ हो, गर्मी में जिसको कोई विशेष अंतर नहीं पड़ता हो -सांस नहीं हांफती हो, और जिसके गले में लटकन हो )
- गाय का मूत्र सीधे ही पात्र में एकत्रित किया जाना चाहिए। जमीन पर गिरे हुए मूत्र को कार्य में नहीं लिया जाना चाहिए।
- गाय देसी नस्ल की और स्वस्थ होनी चाहिए।
- गर्भधान के बाद की यदि कोई गाय हो तो कम से कम तीन महीने उपरान्त ही उसके मूत्र का उपयोग किया जाना चाहिए।
- गर्भवती गाय और अस्वस्थ गाय के मूत्र का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
- खाली पेट लिया जाने वाला गोमूत्र अत्यंत लाभदायी होता है।
- सर्वोत्तम यह होता है की आप रोज ताजा गोमूत्र लेवे। यदि ताजा उपलब्ध नहीं तो गोमूत्र अर्क का भी उपयोग करना चाहिए।
घर पर ही बनाएं गो अर्क कैसे बनाएं : यदि आपके पास गाय है तो आप शौभाग्यशाली हैं। गाय का तो हर उत्पाद ही गुणों से भरपूर हैं। जहाँ गाय का दूध उत्तम जाना जाता है वही इसके मल मूत्र के भी अनेकों लाभ हैं। यदि आप गो अर्क को घर पर ही बनाना चाहते हैं तो इसके लिए सर्वप्रथम देसी गाय का मूत्र (सुबह का मूत्र ) एकत्रित करें। इसके लिए आप पांच लीटर गाय का मूत्र इकठ्ठा करने के उपरान्त मिटटी के घड़े में डाल देवें। मिटटी के घड़े को मिटटी की ही ढकनी (ढकने का पात्र ) से ढक देवें और उसमे एक पाइप लगाकर उसे गेंहू के आते से सील कर देवे। इसके लिए स्टील का पाइप मिल जाए बेहतर रहेगा। अब आप इस को किसी शीतलक से गुजारे और आगे के सिरे पर अर्क इकठ्ठा करने के लिए पात्र रखें।
गोमूत्र के घड़े को आप आंच पर चढ़ाएं। जब भाप बनने लगेगी तो यह पाइप में से होकर गुजरेगी। आपने पहले से ही पाइप को ठंडा करने के लिए शीतलक (पाइप को किसी ठन्डे पानी से भरे घड़े से गुजारना ) से गुजारा होता है। परिणाम स्वरुप गोमूत्र की भाप बूंदों का आकार लेकर एक पात्र में इकठ्ठा होने लगेगी। अब तैयार अर्क को आप हवाबंद डिब्बे में स्टोर करके रख सकते हैं। अर्क बनाने के लिए आप विशेष रूप से पाइप का ध्यान रखें यदि कॉपर का पाइप नहीं मिले तो स्टील का लगाएं लेकिन प्लास्टिक /रबर का पाइप कभी भी नहीं लगाएं। समझने वाली बात यही है की आपको गर्म भाप को ठंडा करके बूंदों में परिवर्तित करना है।
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The author of this blog, Saroj Jangir (Admin),
is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a
diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me,
shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak
Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from
an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has
presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |