वैद्यनाथ अभ्रक भस्म फायदे, डोज और कीमत Baidyanath Abhrak Bhasm Ke Fayde in Hindi
आयुर्वेद स्वस्थ जीवन जीने का विज्ञान है। सुखमय आयु ही आरोग्य है और आरोग्य पुरुषार्थ-चतुष्टय (धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष) का मूल कारण है। आयुर्वेद चिकित्सा-प्रणाली से सभी प्रकार के रोगों का इलाज संभव है। इस चिकित्सा-प्रणाली से रोगी रोग से मुक्त तो होता ही है, स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त करता है। इस प्रणाली द्वारा तैयार की गई औषधियों से शरीर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता और ऐसी ही एक औशधि है अभ्रक भस्म। आइये इस लेख के माध्यम से अभ्रक भस्म के विषय में जानते हैं की इसके क्या लाभ होते हैं। यहाँ में यह स्पष्ट कर दूँ की आपके भले ही किसी भी दवा के विषय में जान रहे हों, दवा स्वंय कभी भी ना लें। इस हेतु आप पूर्ण रूप से वैद्य की सलाह लेवे। यहाँ हम आपको अभ्रक भस्म के विषय में जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं जो की आपका ज्ञान वर्धन करेगी।
वैद्यनाथ अभ्रक के विषय में : अभ्रक स्वाद में कषैला, मधुर और शीतल है। अभ्रक मूल रूप से त्रिदोष नाशक और से महारस माना जाता है। अभ्रक बढ़ती उम्र के प्रभावो को कम करने वाला, धातुवर्द्धक होता है। इसके साथ ही त्वचा के विकारों यथा फोड़ा, फुंसी आदि को दूर करता है। उदर रोग, शरीर से विषाक्त प्रदार्थों को बाहर निकालने वाला, पेट के कृमी को समाप्त करने वाला, शारीरिक कमजोरी को दूर करने वाला, और वीर्य वर्धक होता है। रसशास्त्र में अभ्रक के गुणों के कारण इसको 'महारस' कहा गया है। ओषधिय द्रष्टि से काले रंग के अभ्रक आयुर्वेदिक औषधि के कार्यों के लिए उत्तम माना गया है . अभ्रक भस्म क्षय, प्रमेह, बवासीर, पथरी, मूत्राघात इत्यादि रोगों में बहुत ही लाभकारी होती है।
वैद्यनाथ अभ्रक भस्म क्या है: अभ्रक भस्म 'अभ्रक' खनिज से तैयार होने वाली बेहद उपयोगी दवा होती है जिसका स्वतंत्र और अन्य दवाओं के साथ देकर कई जटिल रोगों का इलाज किया जाता है। कृपया अभ्रक भस्म के मुख्य घटक अभ्रक के बारे में इस लेख के निचे विस्तार से पढ़े। अभ्रक भस्म कई रूपों में उपलब्ध होती है, जैसे सहस्र पुटी, हजार पुटी, निश्चंद्र आदि (कितने बार घोटा गया है और उसी के अनुपात में अग्नि में शोधित किया जाता है ) अभ्रक भस्म बनाने के लिए पहले अभ्रक को जड़ी बूटी के रस में घोटा जाता है, इसके उपरान्त इसे सुखाने के उपरात इसे आग में पकाया जाता है। जितनी बार यह अग्नि से निकाली जाती है वह उतनी ही लाभदायी होती है। अभ्रक भस्म में जो निस्चंद्र को उत्तम माना जाता है। जो भस्म पानी में घुल जाए वह उत्तम मानी जाती है।
कौनसी अभ्रक भस्म ख़रीदे : आपको कई निर्माताओं के द्वारा तैयार की गयी अभ्रक भस्म बाजार में मिल जायेगी लेकिन आप कोशिश करें की जो भी भस्म आप ख़रीदे वह वैद्य के द्वारा अनुशंसा की गयी हो। वैसे आप प्रतिष्ठित निर्माताओं के प्रोडक्टस को खरीद सकते हैं फिर भी गौर करें की चाहे अभ्रक भस्म हो या फिर कोई भी भस्म हो, उसकी गुणवत्ता उच्च स्तर की हो। यदि इसे बनाने के दौरान थोड़ी सी भी लापरवाही की जाय या फिर मापदंडों का अनुसरण नहीं किया जाय तो इसके हैवी मेटल्स आपके शरीर को क्षति पहुंचा सकते हैं। आप स्वंय इसका परिक्षण करे की जो भस्म आप लेने जा रहें है उसे चुटकी में रखकर उसे मसलें तो जो भस्म आपकी रेखाओं में घुस जाय वह रेफाइंड होती है। आप चाहे तो उसे पानी में घोल कर देख लें जो पूर्ण रूप से घुल जाये वह गुणवत्ता के अनुरूप होती है। कहने का मतलब है की आप जो भी दवा खरीदें उसके मापदंडों के प्रति जागरूक रहें। नीम हकीम और अन्य किसी व्यक्ति से भस्म खरीदने से बचना चाहिए क्योंकि इसे बनाने में बहुत ही सतर्कता और स्टैंडर्ड्स का पालन करना होता है। अभ्रक भस्म की "सहस्त्र पुटी" (हजार बार घोटने के बाद सौ बार अग्नि देना ) को श्रेष्ठ माना जाता है क्यों की यह पूर्ण रूप से शोधित होती है और जल्दी ही पच कर शरीर में अपना असर दिखाती है।
वैद्यनाथ अभ्रक भस्म के घटक : अभ्रक भस्म का मुख्य घटक अभ्रक होता है जिसे अग्नि में शोधित करके शास्त्र वर्णित विधि से तैयार किया जाता है। अभ्रक भस्म को आयुर्वेद में महारस भी कहा गया है क्योंकि इसके अनगिनत और विशेष लाभ प्राप्त होते है।
वैद्यनाथ अभ्रक भस्म के फायदे Baidyanath Abhrak Bhasm Ke Fayde Hindi
: अभ्रक भस्म के सेवन से ज्ञात निम्न लाभ होते हैं।
- शरीर में बल की वृद्धि करता है और वीर्य बढाता है। मर्दाना कमजोरी करने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। प्रमुख यौन दुर्बलता के लिए इसका सेवन किया जाता है।
- अभ्रक भस्म को आप किसी भी अरिष्ठ या फिर आसव या चूर्ण के साथ भी ले सकते हैं।
- अभ्रक भस्म को त्रिफला रसायन के साथ एक रत्ती लेने से आँखों की ज्योति में सुधार प्राप्त होता है।
- शारीरिक कमजोरी को दूर करती है।
- स्नायु तंत्र की कमजोरी को दूर करता है। सिद्ध मकरध्वज के साथ इसे गाय के घी में डालकर चाटने से लाभ मिलता है।
- अभ्रक भस्म त्रिदोषनाशक होता है, यह वात कफ्फ और पित्त को नियंत्रित करता है।
- अभ्रक भस्म रक्त विकारों को दूर करता है।
- अभ्रक भस्म चर्म रोग और कुष्ठ रोग में लाभदायी होता है।
- शरीर में खून की कमी को दूर करता है।
- इसकी तासीर ठंडी होने के कारन शरीर को शीतल करता है।
- अभ्रक भस्म त्रिदोष के रोगों, प्रमेह, क्षय, प्रमेह, पथरी कुष्ठ, टीबी, लीवर-स्पलीन रोगों, बुखार, गुल्म, ग्रन्थि, कमजोरी, हृदय रोग, उन्माद, वीर्यपात, नपुंसकता, नसों की कमजोरी आदि में उपयोगी मानी जाती है।
- शरीर में आयरन की कमी को इसके माध्यम से दूर किया जाता है।
वैद्यनाथ अभ्रक भस्म का सेवन : अभ्रक भस्म को आप वैद्य की सलाह से सेवन करे क्योंकि किसी भी व्यक्ति की उम्र, रोग और शरीर की तासीर के अनुसार दवा की मात्रा और सेवन विधि बदल सकती है। सामान्य रूप से आप अंकित मात्रा के अनुरूप सेवन करें। अभ्रक भस्म के विषय में विशेष है की यदि इसे किसी भी अन्य दवा के साथ मिला कर दिया जाय तो इसके गुण बढ़ जाते हैं, इसके लिए आप वैद्य से अवश्य संपर्क करे।
वैद्यनाथ अभ्रक भस्म कहाँ से खरीदें : वैद्यनाथ की अभ्रक भस्म आपको आयुर्वेदिक देसी दवाओं की दूकान पर आसानी से उपलब्ध हो जाती है। यदि इसे आप ऑनलाइन खरीदना चाहते हैं और इसके विषय में मजीद मालूमात हासिल करना चाहते हैं तो निचे दिए गए वैद्यनाथ की अधिकृत वेब साईट पर विजिट करे जिसका लिंक निचे दिया गया है।
वैद्यनाथ अभ्रक भस्म के विषय पर वैद्यनाथ की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी : वैद्यनाथ की वेबसाइट परअभ्रक भस्म के विषय में निम्न जानकारी प्राप्त होती है।
Baidyanath Abhrak Bhasm is prepared from mica and juices of several other indigenous drugs. It is extremely useful in the treatment of asthma, old age debility, phthisis, and skin diseases. It is also a haematinic, provides adequate energy and also has a calming effect on the body.
वैद्यनाथ अभ्रक भस्म की कीमत : वर्तमान में वैद्यनाथ अभ्रक भस्म की कीमत 10 ग्राम दवा की कीमत 96 रुपये है, जिसके लिए आप वैद्यनाथ की वेबसाइट पर विजिट करें और ताजा जानकारी प्राप्त करें।
अभ्रक क्या होता है :
अभ्रक (Mica) आग्नेय चट्टान होता है जिससे मतलब है की ज्वालामुखी में खौलने वाले लावा के परिणाम स्वरुप यह अस्तित्व में आता है और कायांतरित चट्टानों में परत दर पाया जाता है। मस्कोवाइट अभ्रक कुछ हद तक पारदर्शी होता है। बायोटाइट अभ्रक गुलाबी रंग का या हल्के काले रंग का अभ्रक होता है जो घटिया किस्म का अभ्रक है यह पूर्ण अपारदर्शी होता है। हमारे यहाँ बिहार गुजरात हरियाणा कर्नाटक केरल महाराष्ट्र उड़ीसा तमिलनाडु पश्चिम बंगाल आंध्र प्रदेश तथा राजस्थान आदि क्षेत्रों में अभ्रक बहुलता से पाया जाता है। बिहार में सबसे अच्छे प्रकार का लाल (रूबी) अभ्रक पाया जाता है जिसके लिए यह प्रदेश संपूर्ण संसार में प्रसिद्ध है। चिकित्सा के अलावा इसकी पतली-पतली परतों में भी विद्युत् रोकने की क्षमता होती है (विद्युत् का कुचालक) और जिसके कारण इसका उपयोग अनेक बिजली के उपकरणों जैसे कंडेंसर, कम्यूटेटर, टेलीफोन, डायनेमो आदि में होता है।अभ्रक में सूक्ष्म रूप में इसमें मैग्नीशियम, पोटासियम, कैल्शियम, एल्युमीनियम पाए जाते हैं। अभ्रक ऐल्यूमीनियम तथा पोटेसियम के जटिल सिलिकेट हैं, जिनमें विभिझ मात्रा में मैगनीशियम तथा लौह एवं सोडियम, कैल्सियम, लीथियम, टाइटेनियम, क्रोमियम तथा अन्य तत्व भी प्राय: विद्यमान रहते हैं।भारत में विश्व का 60% अभ्रक का उत्पादन होता है। अभ्रक के तीन प्रकार होते हैं।
श्वेत अभ्रक - इसे रूबी अभ्रक भी कहा जाता है यह सफेद धारियों वाला यह चक्र अभ्रक उच्च किस्म का होता है
पीत अभ्रक - इसे फलोगोपाइट के नाम से जाना जाता है
श्याम अभ्रक - इसको बायोटाइट से जाना जाता है और यह अभ्रक का रंग हल्का गुलाबी होता है।
पीत अभ्रक - इसे फलोगोपाइट के नाम से जाना जाता है
श्याम अभ्रक - इसको बायोटाइट से जाना जाता है और यह अभ्रक का रंग हल्का गुलाबी होता है।
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The author of this blog, Saroj Jangir (Admin),
is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a
diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me,
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Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |