राम रहीम एक हैं नाम धराया दोय मीनिंग
राम रहीम एक हैं, नाम धराया दोय
कहै कबीरा दो नाम सुनि, भरम परौ मति कोय.
Or
राम रहीमा ऐक है, नाम धराया दोई
कहे कबीर दो नाम सूनि, भरम परो मत कोई।
Raam Raheem Ek Hain, Naam Dharaaya Doy,
Kahai Kabeera Do Naam Suni, Bharam Parau Mati Koy.
Or
Raam Raheema Aik Hai, Naam Dharaaya Doee
Kahe Kabeer Do Naam Sooni, Bharam Paro Mat Koee.

राम रहीम एक हैं नाम धराया शब्दार्थ
राम रहीम एक हैं-राम और रहीम एक ही हैं।
नाम धराया दोय-नाम अलग अलग रख दिए हैं।
कहै कबीरा दो नाम सुनि-कबीर साहेब वाणी देते हैं की दोनों के अलग अलग नाम सुन कर भ्रम में नहीं पड़ना चाहिए।
भरम परौ मति कोय-कोई भरम में नहीं पड़े।
दोहे का हिंदी मीनिंग
राम और रहीम दोनों एक ही हैं। दोनों के नाम अलग अलग हैं। दोनों के पृथक नाम सुन कर हमें भ्रम में नहीं पड़ना चाहिए, क्योंकि दोनों एक ही हैं। तात्कालिक समाज में कबीर साहेब ने दो धर्मों में मध्य विशेष टकराव देखा जिनकी मान्यताएं एक दूसरे से अलाहिदा थीं, एक तो हिंदी धर्म और दुसरा मुस्लिम। मुस्लिम धर्म विदेशी आक्रांता शासकों का शासकीय/राजकीय धर्म था इसलिए उसका दबदबा होना स्वाभाविक था।
हिंदी और मुस्लिम धर्म में अक्सर ही टकराव होता था। साहेब की वाणी के अनुसार राम और रहीम एक ही हैं, इनके नाम अलग अलग हैं जो की लोग अपनी सुविधा और रीती रिवाजों के अनुसार रख लेते हैं। परम ब्रह्म और शास्वत शक्ति एक ही है। धार्मिक सद्भावना को बढाने के लिए कबीर साहेब ने इस दोहे में कहा है की वस्तुतः राम और रहीम एक ही हैं इनके दो नाम सुन कर भ्रम का शिकार नहीं होना चाहिए।यह कुछ सुविधा की बात भी है की हमें जो अच्छा और सुगम लगा हमने उसे ही सबसे अच्छा और बड़ा बना दिया। लेकिन साहेब ने स्पष्ट कर दिया की नाम अलग अलग हैं, पूर्ण परम ब्रह्म शक्ति एक ही है। वह शक्ति एक ही है और निर्गुण भी है। यह घट घट में व्याप्त है, कण कण में व्याप्त है। इसे लेकर किसी प्रकार का भरम नहीं रखना चाहिए।
दिल में खोजि, दिलही मां खोजो, इहै करीमा रामा।
इस दोहे का मूल भाव है की राम और रहीम एक ही शक्ति के दो मुख्तलिफ नाम हैं, और दोनों वास्तव में एक ही हैं जिनको लेकर भ्रम का शिकार नहीं होना चाहिए।
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