ऊँचा महल चुनाइया सुबरन कली ढुलाय मीनिंग कबीर के दोहे

ऊँचा महल चुनाइया सुबरन कली ढुलाय हिंदी मीनिंग Uncha Mahal Chunaiya Subran Kali dhulay Hindi Meaning Kabir Ke Dohe कबीर के दोहे हिंदी अर्थ सहित कबीर के दोहे हिंदी में

ऊँचा महल चुनाइया, सुबरन कली ढुलाय।
वे मंदिर खाली पड़े, रहे मसाना जाय।।
 
Ooncha Mahal Chunaiya, Subaran Kalee Dhulaay.
Ve Mandir Khaalee Pade, Rahe Masaana Jaay.
Or
Uncha Mahal Chunaay Ke, Subran Kali Dhulaay,
Ve Mandir Khali Pade, Rahe Masaan Jaay. 
 
ऊँचा महल चुनाइया सुबरन कली ढुलाय मीनिंग Uncha Mahal Chunaiya Subran Kali dhulay Meaning

ऊँचा महल चुनाइया सुबरन कली ढुलाय शब्दार्थ Uncha Mahal Chunaiya Subran Kali Dhulay Word Meaning Hindi (Kabir Ke Dohe Hindi )

ऊँचा महल : भव्य आवास /Grand residence
सुबरन कली : स्वर्णिम रंग / Golden color
ढुलाय : पोतना / Color adorn
मंदिर : आवास / Residence
रहे मसाना जाय : शमशान भूमि में रहना / Living in the cremation ground

ऊँचा महल चुनाइया सुबरन कली हिंदी मीनिंग Uncha Mahal Chunaiya Subran Kali Dhulay Hindi Meaning-Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit

हिंदी मीनिंग - माया के भ्रम में फंसकर जीवात्मा ऊँचे महल बनाता है, उनके सोने (स्वर्ण) के जैसा रंग करवाता है. वे सभी महल और भवन एक रोज खाली रह जाने हैं. वे शमशान की तरह से वीरान जो जायेंगे. भाव है की भौतिक जगत की सभी वस्तुएं एक रोज समाप्त हो जानी हैं इसलिए भौतिक वस्तुओं पर घमंड करना, अहम करना उचित नहीं है.

भौतिक जगत के आकर्षण से मनुष्य अपना पूरा जीवन सम्पति एकत्रित करने में लगा देता है। सुख सुविधाओं और माया के जाल में फंसकर जीवन के मूल उद्देश्य को भूल जाता है जबकि उसे ज्ञात है की साथ में कुछ भी जाएगा। अंतिम ठौर तो प्रभु के यहाँ ही होनी है। माया को और अधिक इकठ्ठा करने की जुगत में वो ना जाने कितने अपराध कर बैठता है। इसी सन्दर्भ में कबीर साहेब की वाणी है की रहने के लिए खूब धन लगाकर महल बना लिया और उसकी सजावट करने के लिए उसमें सोने की / सुनहरा रंग (कली ) भी करवा दी लेकिन वे मंदिर / महल तो खाली पड़े हैं, उनमे कोई स्थायी रूप से रहने वाला नहीं है क्यों की उनमे रहने वाले तो शमसान के वासी हो गये हैं। 
 
इस दोहे का मूल भाव यही है की एक रोज सब छोड़ के शमशान को जाना है फिर क्यों व्यक्ति जीवन भर परेशान रहता है और अनैतिक मार्ग का अनुसरण करता है। ना जाने कितने ही पाप करता है, अधिक से अधिक माया को जोड़ने के चक्कर में. जबकि उसे विचार करना चाहिए की उसके साथ क्या जाना है ?, कुछ भी नहीं, बस एक इश्वर का नाम.

Explanation of kabir Doha/Sakhi : With the attraction of the physical world, man spends his entire life collecting wealth and and material things. Being trapped in the trap of happiness and illusion, he forgets the original purpose of life even though he knows that anything will go along. The final place is to be with the Lord. In the world of collecting Maya (wordly Things) more, he does not know how many crimes he commits. In this context, Kabir Saheb declares that he made a palace with a lot of money to live and also made a gold / golden color in it to decorate it, but those Huge Houses / palaces will empty one day. The Worldly things are not permanent and all we are all mere travelers. The basic motive of this couplet is that one has to leave the crematorium every day and then why the person is disturbed throughout his life and follows the unethical path. By falling into the trap of worldly luxury, we adopt a more immoral path.

उड़ जा हंस अकेला
माटी चुन चुन महल बनाया
लोग कहे घर मेरा
ना घर तेरा ना घर मेरा,
चिड़िया रैन बसेरा रे साधु भाई
उड़ जा हंस अकेला
Ud Ja Hans Akela
Maatee Chun Chun Mahal Banaaya
Log Kahe Ghar Mera
Na Ghar Tera Na Ghar Mera,
Chidiya Rain Basera Re Saadhu Bhaee
Ud Ja Hans Akela 

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