निश्चल काल गरासही बहुत कहा समुझाय मीनिंग
निश्चल काल गरासही, बहुत कहा समुझाय।
कहै कबीर मैं का कहुँ, देखत ना पतिताय।।
Or
निश्चल काल गरासही, बहुत कहा समुझाय
कहे कबीर मैं का कहुॅ, देखत ना पतियाय।
Nishchal Kaal Garaasahee, Bahut Kaha Samujhaay.
Kahai Kabeer Main Ka Kahun, Dekhat Na Patitaay.
निश्चल काल गरासही बहुत कहा समुझाय मीनिंग
इस दोहे का हिंदी मीनिंग: काल एक रोज सबको अपना शिकार बना लेगा। कबीर साहेब का कथन है की उन्होंने लोगों को बहुत समझाया है की एक रोज वो भी काल के ग्रास बनेंगे। विडंबना है की लोग सब कुछ देखने के बावजूद भी इस पर विश्वास नहीं करते हैं और अपना जीवन माया के फेर में पड़ कर बर्बाद कर रहे हैं। मूल भाव है की सभी को एक रोज काल खा जायेगा / उनका जीवन समाप्त हो जायेगा लेकिन वे अपने जीवन को स्थायी समझ कर मात्र माया के फेर में पड़कर अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं और इश्वर का सुमिरण नहीं करते हैं।
रामानंद जी कबीर को शिष्य नहीं बनाना चाहते थे : कबीर साहेब के गुरु कौन थे इस सबंध में भी कोई एक मान्य राय नहीं है लेकिन तमाम विवादों के बावजूद है माना जाता है की कबीर साहेब के गुरु रामानंद जी थे जिन्होंने कबीर साहेब के विचारों में क्रांतिकारी परिवर्तन किये। डाक्टर श्याम सुन्दर दास जी के अनुसार कबीर के गुरु रामानंद जी थे। मान्यता के आधार पर लोग कबीर साहेब का मजाक उड़ाते थे की जिस व्यक्ति का कोई गुरु ही नहीं है वह दूसरों को क्या उपदेश देगा और इसी कारण के चलते कबीर साहेब को गुरु बनाने की चिंता सताने लगी और वे पहुँच गए रामानंद जी के आश्रम में उन्हें गुरु बनाने के लिए।
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं