राम नाम जाण्या नहीं बात बिनंठी मूलि मीनिंग कबीर के दोहे

राम नाम जाण्या नहीं बात बिनंठी मूलि मीनिंग

राम नाम जाण्या नहीं, बात बिनंठी मूलि।
हरत इहाँ ही हारिया, परति पड़ी मुख धूलि॥
Raam Naam Jaanya Nahi, Baat Binathi Muli,
Harat Ihan Hi Haariya, Parati Padi Mukh Dhuli,

राम नाम जाण्या नहीं : तुमने राम नाम को जाना नहीं, राम नाम के महत्त्व को समझा नहीं.
बात बिनंठी मूलि : तुमने मूल को ही खो दिया है.
बिनंठी : विनष्ट हो जाना, समाप्त हो जाना.
हरत : हर लेना, छीन लेना.
इहाँ ही : यहीं पर.
हारिया : हार गया, परास्त हो गया.
परति पड़ी : गिर गई है .
मुख धूलि : मुख में धुल.

कबीर साहेब की वाणी है की तुमने राम नाम के महत्व को समझा नहीं और बात (विषय/ राम नाम का महत्त्व) को जड़ से ही समाप्त कर दिया है. प्रस्तुत साखी में कबीर साहेब की वाणी है की तुमने राम नाम के महत्त्व को नहीं जाना है और इस जगत के मायाजनित कार्यों में पड़कर, दूसरों के हक को मारकर, वह यहीं पर हार जाता है. दूसरों का हरण करने के चक्कर में वह स्वंय का भी मूल गँवा देता है. अंत में
उसके मुख पर धुल ही गिरती है, उसका पतन हो जाता है. प्रस्तुत साखी में मूल भाव है की इश्वर के नाम का सुमिरण करना भी सबसे बड़ा धन है, जो व्यक्ति हरी के नाम को बिसार कर अन्य कार्यों में लिप्त हो जाता है, उसे अंत में हानि ही प्राप्त होती है. 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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