कबीर मंदिर ढहि पड़ा इंट भई सैबार मीनिंग Kabir Mandir Dhahi Pada Hindi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit (Hindi Meaning/Bhavarth)
कबीर मंदिर ढहि पड़ा,इंट भई सैबार।करी चेजारा सु प्रीतिड़ी ज्यो ढहे न दूजी बार॥
Kabir Mandir Dhahi Pada, Ent Bhai Saibaar,
Kri Chejaara Su Peetidi, Jyo Dhahe Na Duji Baar.
कबीर मंदिर ढहि पड़ा : कबीर साहेब की वाणी है की तन रूपी मंदिर जीर्ण होकर ढह गया है.
इंट भई सैबार : ईंट जर्जर होकर गिर पड़ी हैं और इन पर शैवाल (काई) उग गयी है.
करी चेजारा सु : कारीगर से प्रीत (नहीं की.)
चेजारा : मिस्त्री, कारीगर, घर बनाने वाला.
सु-से (इश्वर से)
प्रीतिड़ी : प्रेम, प्रीत.
ज्यो ढहे : जो ढह जाता है.
न दूजी बार : दुबारा कभी नहीं, पुनः नहीं.
इंट भई सैबार : ईंट जर्जर होकर गिर पड़ी हैं और इन पर शैवाल (काई) उग गयी है.
करी चेजारा सु : कारीगर से प्रीत (नहीं की.)
चेजारा : मिस्त्री, कारीगर, घर बनाने वाला.
सु-से (इश्वर से)
प्रीतिड़ी : प्रेम, प्रीत.
ज्यो ढहे : जो ढह जाता है.
न दूजी बार : दुबारा कभी नहीं, पुनः नहीं.
कबीर साहेब की वाणी है की यह तन रूपी मंदिर उस परमपिता परमेश्वर ने बनाई है, वही इसका निर्माता (चेजारा) है. उस चेजारा (इश्वर) से प्रीत नहीं करने पर यह जीर्ण हो जाता है. इसलिए उस मालिक से प्रेम करो ताकि दुबारा यह कभी नहीं ढहे. प्रस्तुत साखी में रुप्कातिश्योक्ति अलंकार की व्यंजना हुई है.