जरा कुत्ता जोबन ससा काल अहेरी नित्त हिंदी मीनिंग
जरा कुत्ता जोबन ससा, काल अहेरी नित्त
दो बैरी बिच झोपड़ा, कुशल कहाँ सो मित्त
Jara Kutta Joban Sasa, Kaal Aheree Nitt
Do Bairee Bich Jhopada, Kushal Kahaan So Mitt
जरा कुत्ता जोबन ससा काल अहेरी नित्त हिंदी शब्दार्थ
जरा : बुढापा, वृधावस्था
जोबन : जवानी
ससा : खरगोश
काल : मृत्यु / समय
अहेरी : शिकारी
नित्त : रोज (रोज घात लगाकर काल बैठा है )
बुढ़ापे का समय कुत्ते के समान है और जवानी की हालात खरगोश जैसी है। जवानी और बुढापे के बीच में काल शिकार करने के लिए नित घात लगाकर बैठा है। जैसे ही काल को मौका मिलता है वह अपना शिकार कर लेता हैं। दोनों अवस्थाओं के बीच में काल बैठा है ऐसी परिस्थिति में किसी का भला / हित / कुशल कैसे हो सकता है।
इसीलिए कबीर साहेब जागने की बात करते हैं और जम से सावधान रहने के लिए कहते हैं।
कबीर गाफिल क्यों फिरै क्या सोता घनघोर ।
तेरे सिराने जम खड़ा, ज्यूँ अंधियारे चोर। भाव है की बगैर मालिक के नाम के सुमिरन के जीव का कुशल नहीं होगा और काल उसे अपना शिकार बना ही लेगा।
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