
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
करैं बुराई सुख चहैं, कैसे पावै कोय ।
या
करता था सो क्यों किया, अब कर क्यों पछिताय ।
बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से खाय ॥
Karain Buraee Sukh Chahain, Kaise Paavai Koy .
Rop Pade Babool Ka, Aam Kahaan Te Hoy ..
Ya
Karata Tha So Kyon Kiya, Ab Kar Kyon Pachhitaay .
करैं बुराई सुख चहैं कैसे पावै हिंदी मानीं दोहे का हिंदी में भावार्थ
दोनों ही दोहे जो समानार्थी भाव रखते हैं, भाव है की हम जो भी करते हैं उसी का परिणाम हमें प्राप्त होता है। जैसे कोई व्यक्ति बबूल लगाए और आशा करे की उसे फल के रूप में आम प्राप्त हो जाएँ तो यह संभव नहीं है। उसने बबूल बोया है तो कांटे ही प्राप्त होने वाले हैं। सकारात्मक कार्यों का परिणाम सकारात्मक और नकारात्मक कार्यों का परिणाम बुरा ही प्राप्त होगा यही फिजिक्स का नियम भी कहता है। भाव है की सद्कर्म करें, अच्छा सोचे और नेक राह पर चले तो परिणाम शुभ प्राप्त होंगे।
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