कबीर माया बेसवा दोनूं की इक जात हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

 कबीर माया बेसवा दोनूं की इक जात हिंदी मीनिंग Kabir Maya Besva Donu Ki Ik Jaat Hindi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Me

 
कबीर माया बेसवा, दोनूं की इक जात ।
आंवत को आदर करें, जात न बूझै बात।।
 
Kabeer Maaya Besava, Donoon Kee Ik Jaat .
Aanvat Ko Aadar Karen, Jaat Na Boojhai Baat. 
 
कबीर माया बेसवा दोनूं की इक जात हिंदी मीनिंग Kabir Maya Besva Donu Ki Ik Jaat Hindi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Me

कबीर माया बेसवा दोहे का हिंदी मीनिंग: वेश्या और माया का आचरण एक जैसा होता है। यह आते समय (जाल में फंसाते समय ) तो आदर देते हैं लेकिन जब व्यक्ति इनके जाल में फँस कर रह जाता है / जाते समय यह उसके कुशल क्षेम भी नहीं पूछती हैं, बात भी नहीं करती हैं। माया के विषय में साहेब बताते हैं की यदि गुरु के पास धन हो तो शिष्य अपने गुरु को भी माया के वस में होकर विष दे सकता है। माया ठगी का सहारा लेकर जीव को ब्रह्म प्राप्ति में बाधा पहुंचती है।
 जग हठवाड़ा स्वाद ठग, माया बेसाँ लाइ।
रामचरण नीकाँ गही, जिनि जाइ जनम ठगाइ॥
 
माया मोहिनी और खांड की भाँती मीठी है। गुरु ज्ञान से ही इसके जाल से बचा जा सकता है। यदि गुरु का सानिध्य नहीं होता तो कोई इससे बच नहीं सकता था और यह भांड की भाँती गली गली नचवाती, अपने इशारों पर नचवाती। 
`कबीर’ माया मोहनी, जैसी मीठी खांड ।
सतगुरु की कृपा भई, नहीं तौ करती भांड ॥

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
+

एक टिप्पणी भेजें